
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के कारोबारी रिश्तेदार रॉबर्ट वाड्रा 2008 के हरियाणा भूमि सौदे मामले में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए गुरुवार को लगातार तीसरे दिन ईडी के समक्ष पेश हुए। अधिकारियों ने बताया कि जांच के तहत पिछले दो दिनों में 56 वर्षीय वाड्रा से दस घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई है और धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनके बयान दर्ज करने की प्रक्रिया गुरुवार को भी जारी रहेगी। वह अपनी पत्नी प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ सुबह 11 बजे मध्य दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय पहुंचे, जो वायनाड से सांसद हैं। रॉबर्ट वाड्रा ने ईडी की कार्रवाई को अपने और अपने परिवार के खिलाफ "राजनीतिक प्रतिशोध" से प्रेरित बताया और कहा कि हालांकि उन्होंने हमेशा एजेंसी के साथ सहयोग किया है और हजारों पन्नों के दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं, लेकिन उन्हें इन मामलों में "समापन" की आवश्यकता है जो लगभग 20 साल पुराने हैं।
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जांच हरियाणा के गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर (अब सेक्टर 83) में एक जमीन सौदे से जुड़ी है। फरवरी 2008 का यह सौदा स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने किया था, जिसके पहले रॉबर्ट वाड्रा निदेशक थे। कंपनी ने शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपये की कीमत पर 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। उस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। चार साल बाद सितंबर 2012 में कंपनी ने यह जमीन रियल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दी। अक्टूबर 2012 में यह जमीन सौदा विवादों में तब आया जब आईएएस अधिकारी अशोक खेमका, जो उस समय हरियाणा के भूमि चकबंदी और भूमि अभिलेख महानिदेशक-सह-पंजीकरण महानिरीक्षक के पद पर तैनात थे, ने इस सौदे को राज्य चकबंदी अधिनियम और कुछ संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताते हुए दाखिल खारिज रद्द कर दिया।