अब वक्फ बोर्ड को भी भरनी होगी कोर्ट फीस… गुजरात हाईकोर्ट ने दिया फैसला, 150 याचिकाएं खारिज
गुजरात हाई कोर्ट ने मुस्लिम वक्फ संस्थाओं की कोर्ट फीस से छूट की मांग वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वक्फ ट्रिब्यूनल में दायर याचिकाओं पर गुजरात कोर्ट फीस एक्ट, 2004 लागू होगा। इन मामलों की सुनवाई सिविल कोर्ट की तरह ही होगी। मुस्लिम वक्फ को अब दूसरे धार्मिक ट्रस्ट या चैरिटेबल संस्थाओं की तरह ही माना जाएगा।
कोर्ट ने साफ किया कि अब से मुस्लिम वक्फ बोर्ड और उससे जुड़ी संस्थाओं को दूसरे धार्मिक ट्रस्टों की तरह ही कोर्ट फीस देनी होगी। इसके अलावा, हाई कोर्ट ने एक साथ करीब 150 वक्फ याचिकाओं को खारिज कर दिया। लोगों का मानना है कि इस फैसले से कानूनी प्रक्रिया में बराबरी आएगी और पुराने मामलों के समाधान में तेजी आएगी।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि कोई भी पार्टी कानून से ऊपर नहीं हो सकती। इसलिए, हिंदू धार्मिक ट्रस्टों पर लागू होने वाले नियम अब वक्फ पर भी उतने ही लागू होंगे। पहले वक्फ को कोर्ट फीस से छूट दी गई थी। हालांकि, अब इसे खत्म कर दिया गया है। वक्फ से भी फीस ली जाएगी।
वक्फ बोर्ड के पास पूरे देश में 9,40,000 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन है। इन ज़मीनों का मैनेजमेंट राज्यों में बनी वक्फ कमेटियां करती हैं। इस फैसले के ज़रिए कोर्ट ने सभी धार्मिक ट्रस्टों के लिए कानूनी प्रक्रिया में बराबरी लाने की कोशिश की है। इसका साफ़ मतलब है कि सभी धर्मों के ट्रस्टों की तरह वक्फ को भी अब कोर्ट फीस देनी होगी।
अब केस तेज़ी से सुलझेंगे।
गुजरात हाई कोर्ट के फैसले पर डिप्टी चीफ मिनिस्टर हर्ष सांघवी ने खुशी जताई और कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि फीस की कमी की वजह से पेंडिंग केस बढ़ रहे हैं। अब कम केस फाइल होंगे, जिससे उनका सुलझना तेज़ी से होगा।

