कैसे काम करता है प्लेन का 'Black Box', जानें क्यों है जरूरी, जिससे खुलेगा विमान दुर्घटना का राज

अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस दुखद हादसे में 12 क्रू मेंबर समेत 265 लोगों की जान चली गई थी। अब नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) ने दुर्घटनास्थल से ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया है, जिससे दुर्घटना के पीछे की असली वजह का पता चलने की उम्मीद है। लेकिन आखिर ये ब्लैक बॉक्स होता क्या है और ये कैसे क्रैश हुए विमान की कहानी बयां करता है? आइए आसान भाषा में समझते हैं।
ब्लैक बॉक्स - नाम 'ब्लैक', रंग 'ऑरेंज'
सबसे पहले एक बात साफ कर दें कि ब्लैक बॉक्स का रंग काला नहीं होता। दरअसल, इसका रंग ऑरेंज होता है ताकि दुर्घटना के बाद मलबे में इसे आसानी से देखा जा सके। इसे विमान के सबसे मजबूत हिस्से में लगाया जाता है ताकि दुर्घटना में चाहे कुछ भी हो जाए, ये सुरक्षित रह सके।
ब्लैक बॉक्स दो हिस्सों में बंटा होता है
इस डिवाइस में दो मुख्य हिस्से होते हैं
1. CVR (कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर) - ये हिस्सा कॉकपिट में मौजूद पायलट और को-पायलट की बातचीत, चेतावनी अलार्म और दूसरी आवाजें रिकॉर्ड करता है। यानी दुर्घटना से पहले पायलट क्या बात कर रहे थे, कोई अलार्म था या नहीं, ये सारी बातें इसमें रिकॉर्ड होती हैं।
2. FDR (फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर)- इसका काम तकनीकी डेटा इकट्ठा करना है। जैसे विमान कितनी ऊंचाई पर था, उसकी स्पीड क्या थी, कौन सा सिस्टम काम कर रहा था या फेल हो गया। ये सारी जानकारी इसमें स्टोर होती है।
ब्लैक बॉक्स दुर्घटना की तह तक कैसे पता करें?
जब कोई विमान दुर्घटनाग्रस्त होता है, तो जांच एजेंसियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण काम ब्लैक बॉक्स को ढूंढना होता है। इसकी खास बात ये है कि अगर विमान पानी में गिर भी जाता है, तो भी ये डिवाइस 30 दिनों तक सिग्नल भेजती रहती है, ताकि उसे ट्रैक किया जा सके। ब्लैक बॉक्स मिल जाने के बाद, उसमें मौजूद ऑडियो और डेटा को एक विशेषज्ञ कंप्यूटर सिस्टम द्वारा पढ़ा जाता है। पायलटों की बातचीत, अचानक अलार्म, इंजन में खराबी या दूसरी तकनीकी खराबी। इन सबका रिकॉर्ड होता है। इन रिकॉर्ड को पढ़कर पता लगाया जाता है कि दुर्घटना तकनीकी खराबी, मौसम या मानवीय भूल की वजह से हुई है।
ब्लैक बॉक्स इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
विमान दुर्घटनाओं की जांच में ब्लैक बॉक्स की भूमिका ठीक वैसी ही होती है, जैसी किसी अपराध में प्रत्यक्षदर्शी की होती है। इससे न केवल कारणों की पहचान करने में मदद मिलती है, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा मानकों में भी सुधार होता है। कई बार एयरलाइंस को इस डेटा के आधार पर जरूरी बदलाव करने पड़ते हैं। ब्लैक बॉक्स कोई साधारण डिवाइस नहीं है, बल्कि हर उड़ान की सच्चाई को अपने अंदर समेटे हुए है। चाहे दुर्घटना कितनी भी भयावह क्यों न हो, यह छोटी सी मशीन उस दुर्घटना की पूरी कहानी बयां कर सकती है। बशर्ते इसे सही समय पर ढूंढा और समझा जाए। अब जब अहमदाबाद दुर्घटना का ब्लैक बॉक्स मिल गया है, तो उम्मीद है कि इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना के पीछे की सच्चाई जल्द ही सामने आएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।