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अलकायदा की शमा परवीन! कैसे एक आम महिला से बन गई खतरनाक 'जिहादी ब्रिगेड' की सरगना, गजवा-ए-हिंद की साजिश का पूरा खुलासा

अलकायदा की शमा परवीन! कैसे एक आम महिला से बन गई खतरनाक 'जिहादी ब्रिगेड' की सरगना, गजवा-ए-हिंद की साजिश का पूरा खुलासा

गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) को अलकायदा आतंकी मॉड्यूल मामले में बड़ी कामयाबी मिली है। गुजरात एटीएस ने अलकायदा आतंकी मॉड्यूल की लेडी ब्रिगेड का पर्दाफाश करते हुए बेंगलुरु से शमा परवीन नाम की एक महिला आतंकी को गिरफ्तार किया है। जांच में पता चला है कि शमा परवीन अलकायदा के इस आतंकी मॉड्यूल की मास्टरमाइंड है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब गुजरात एटीएस इस मॉड्यूल से जुड़े चार अन्य आतंकियों को दिल्ली, नोएडा और गुजरात से पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। अलकायदा का यह आतंकी मॉड्यूल अपने जटिल नेटवर्क के कारण सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बना हुआ था, जिसे अब ध्वस्त कर दिया गया है।

अलकायदा की महिला गैंग लीडर शमा परवीन कौन है?
शमा परवीन झारखंड की मूल निवासी है और फिलहाल बेंगलुरु के हेब्बल इलाके में रह रही थी। वह अलकायदा के गजवा-ए-हिंद मिशन को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल थी। शमा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके युवाओं को भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल करती थी और उन्हें भड़काकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करती थी।

नाम: शमा परवीन, ग़ज़वा-ए-हिंद की महिला गिरोह की सरगना
उम्र: 30 वर्ष
मूल निवासी: झारखंड
शिक्षा: बी.कॉम
कार्य: सोशल मीडिया पर युवाओं को भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल करना
संबंध: आतंकवादी संगठन अल-क़ायदा (AQIS - भारतीय उपमहाद्वीप में अल-क़ायदा)
गिरफ़्तारी: एटीएस ने उसे बेंगलुरु से गिरफ्तार किया

गुजरात एटीएस ने शमा परवीन को बेंगलुरु के हेब्बल इलाके से गिरफ्तार किया है, जहाँ वह अल-क़ायदा का पूरा मॉड्यूल चला रही थी। उसकी सोशल मीडिया गतिविधियाँ भी लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर थीं।

अल-क़ायदा का आतंकी मॉड्यूल कैसे काम करता था?
गुजरात एटीएस के अनुसार, अल-क़ायदा का यह आतंकी मॉड्यूल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का व्यापक रूप से इस्तेमाल करता था। 'गज़वा-ए-हिंद' के नाम पर भारत में हिंसा फैलाने की साजिश रची जा रही थी। शमा परवीन इस अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी मॉड्यूल का हिस्सा थी और महिला स्लीपर सेल को सक्रिय रखने में उसकी भूमिका थी।

पाकिस्तानी आतंकवादियों से सीधा संबंध
जांच से पता चला है कि शमा परवीन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के ज़रिए पाकिस्तान से जुड़ी हुई थी। उसने अल-क़ायदा के मौलाना आसिम उमर, अनवर अल-अवलाकी और लाहौर की लाल मस्जिद के मौलाना अब्दुल अज़ीज़ के भड़काऊ वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए थे। इन वीडियो में लोगों को हथियार उठाने, सरकार के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने और देश में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए उकसाया गया था।

सोशल मीडिया के ज़रिए आतंकवादी विचारधारा का प्रसार
एटीएस को पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर कट्टरपंथी सामग्री फैलाने वालों पर नज़र रखने के निर्देश मिले थे। इसके तहत एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसने "स्ट्रेंजर्स ऑफ़ द नेशन" और "स्ट्रेंजर्स ऑफ़ द नेशन 2" नाम के फ़ेसबुक पेज और इंस्टाग्राम अकाउंट का पता लगाया। इन अकाउंट से लगातार आतंकवादी विचारधारा फैलाई जा रही थी और अल-क़ायदा नेताओं के वीडियो और भड़काऊ भाषण शेयर किए जा रहे थे।

गिरफ्तारी की समयरेखा और पाकिस्तानी कनेक्शन
गुजरात एटीएस को 10 जून, 2025 को एक गुप्त सूचना मिली थी, जिसमें कुछ इंस्टाग्राम अकाउंट्स के ज़रिए राष्ट्र-विरोधी और भड़काऊ बातें फैलाए जाने की बात कही गई थी। इसके बाद, एटीएस की चार टीमों ने चार राज्यों में कार्रवाई की और शमा परवीन से पहले चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया:

फरदीन शेख: फतेहवाड़ी, अहमदाबाद
सैफुल्लाह कुरैशी: मोडासा, गुजरात
मोहम्मद फैक: चांदनी चौक, दिल्ली
ज़ीशान अली: नोएडा, उत्तर प्रदेश
इन चारों आरोपियों से पूछताछ और उनके डिजिटल सबूतों की जाँच के बाद शमा परवीन का नाम सामने आया। गुजरात एटीएस की टीम बेंगलुरु पहुँची और 29 जुलाई को स्थानीय पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की मदद से शमा परवीन को गिरफ्तार कर लिया गया।

शमा परवीन पर यूएपीए लगाया गया
जाँच में यह भी पता चला है कि शमा परवीन मौलाना आसिम उमर उर्फ सनाउल हक से काफी प्रभावित थी, जो AQIS (भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा) का प्रमुख था। वह मौलाना आसिम उमर के भड़काऊ बयानों को सोशल मीडिया पर लगातार पोस्ट करके लोगों का ब्रेनवॉश कर रही थी। उत्तर प्रदेश के संभल निवासी आसिम उमर को 2014 में अल-कायदा प्रमुख अल ज़वाहिरी ने AQIS का प्रमुख बनाया था। 2019 में अमेरिकी सेना ने उसे अफ़ग़ानिस्तान में मार गिराया था। शमा परवीन पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम) और BNS (भारतीय न्याय संहिता) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। उसकी गिरफ्तारी इस खतरनाक अल-कायदा मॉड्यूल को ध्वस्त करने में एक बड़ी सफलता है।

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