आखिर कैसे एक कॉन्फिगरेशन एरर बन गया देश के सबसे बड़े विमान हादसे का कारण? AIR BASE इंडिया का पहला बयान आया सामने

दोपहर 1:38 बजे एयर इंडिया की लंदन जा रही फ्लाइट AI171 (बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, VT-ANB) टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद अहमदाबाद के मेघानी नगर क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसे में कई जानें जाने की आशंका है। शुरुआती जांच में संकेत मिला है कि टेकऑफ के दौरान कॉन्फिगरेशन एरर यानी विमान की उड़ान सेटिंग में गलती इस दुर्घटना की मुख्य वजह हो सकती है, भले ही मौसम साफ था और विमान के दोनों पायलट—कैप्टन सुमीत सभरवाल और फर्स्ट ऑफिसर क्लाइव कुंदर—अनुभवी थे।
क्या होती है कॉन्फिगरेशन एरर?
टेकऑफ के समय विमान की कुछ विशेष सेटिंग्स होती हैं—जैसे फ्लैप्स की स्थिति, थ्रस्ट (इंजन की ताकत), और रोटेशन स्पीड। यदि इनमें कोई भी गलती हो जाए तो विमान के लिए सही गति और ऊंचाई पाना मुश्किल हो जाता है। इससे वह या तो स्टॉल कर सकता है या फिर नियंत्रण खो सकता है।
हादसे की परिस्थितियां
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विमान: बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, GE GEnx इंजन के साथ
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उड़ान मार्ग: अहमदाबाद से लंदन गैटविक (लगभग 4,200 किमी)
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मौसम: तेज गर्मी, तापमान 43°C, साफ आसमान
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स्थान: समुद्र तल से लगभग 180 फीट ऊपर स्थित रनवे
टेकऑफ के 5 से 9 मिनट बाद विमान केवल 825 फीट ऊंचाई तक पहुंच सका और उसकी गति 174 नॉट्स (करीब 320 किमी/घंटा) थी, जबकि उस वजन पर कम से कम 200–250 नॉट्स की रफ्तार जरूरी मानी जाती है। चौंकाने वाली बात यह है कि हादसे के वीडियो में विमान का लैंडिंग गियर नीचे ही नजर आया।
संभावित कारण: क्यों मानी जा रही है पायलट त्रुटि सबसे बड़ी वजह?
1. फ्लैप्स सेटिंग में चूक
कम या अधिक फ्लैप्स की स्थिति दोनों ही स्थितियों में टेकऑफ प्रभावित होता है। गर्म मौसम में फ्लैप्स की सटीक सेटिंग अत्यंत आवश्यक होती है।
2. थ्रस्ट की कमी
गर्मी के कारण इंजन की क्षमता कम हो जाती है। यदि पायलट्स ने 'डिरेटेड थ्रस्ट' सेट किया हो या वजन का गलत आंकलन किया हो, तो विमान आवश्यक रफ्तार तक नहीं पहुंच पाता।
3. रोटेशन में जल्दबाज़ी
अगर विमान को तय स्पीड (Vr) से पहले ऊपर उठाने की कोशिश की गई हो, तो लिफ्ट नहीं मिलती। इससे टेकऑफ अस्थिर हो सकता है। 787 के लिए यह स्पीड आमतौर पर 140-160 नॉट्स होती है।
4. लैंडिंग गियर ऊपर न करना
टेकऑफ के बाद पहिए ऊपर करना आवश्यक होता है ताकि ड्रैग न बढ़े। पहिए नीचे होने से विमान की चढ़ाई और गति दोनों प्रभावित होती हैं।
क्या मानवीय चूक बनी हादसे की वजह?
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क्रू रिसोर्स मैनेजमेंट (CRM) में गड़बड़ी संभव है। अगर कैप्टन की गलती पर फर्स्ट ऑफिसर ने आपत्ति नहीं जताई या सही से क्रॉसचेक नहीं हुआ, तो त्रुटि अनदेखी रह सकती है।
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ऑटोमेशन पर अति-निर्भरता भी एक बड़ा कारण बन सकता है। यदि FMS (फ्लाइट मैनेजमेंट सिस्टम) में कोई गलत डेटा फीड हुआ हो (जैसे तापमान या वजन), तो उसके आधार पर किए गए सारे निर्णय गलत साबित हो सकते हैं।
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थकान, गर्मी और दबाव भी निर्णायक हो सकते हैं। 43°C की गर्मी में लंबे शेड्यूल और शारीरिक थकान निर्णय क्षमता को प्रभावित कर सकती है।
क्या अन्य संभावनाएं हैं?
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इंजन फेल या बर्ड स्ट्राइक (10–15%): दोनों इंजनों का एक साथ फेल होना बेहद दुर्लभ है। हालांकि इंजन की आवाज की कमी और MAYDAY कॉल से थ्रस्ट की समस्या की ओर इशारा मिलता है।
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गर्मी से प्रदर्शन में गिरावट (5–10%): उच्च तापमान में लिफ्ट कम बनती है, जिससे टेकऑफ के लिए पूरी रनवे लंबाई और सटीक सेटिंग की आवश्यकता होती है।
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तकनीकी खराबी (2–3%): 787 का सुरक्षा रिकॉर्ड बेहतरीन है। घटना की प्रकृति पायलट त्रुटि की ओर अधिक संकेत करती है।
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साजिश या आतंकी हमला: अब तक कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।
हादसे के दृश्य संकेत—कम ऊंचाई, कम गति और लैंडिंग गियर नीचे—यह दर्शाते हैं कि टेकऑफ सेटिंग में गंभीर चूक हुई। शुरुआती आंकलन के अनुसार, 70–80% संभावना पायलट त्रुटि की है, जबकि अन्य तकनीकी कारणों की भूमिका सीमित मानी जा रही है। तेज गर्मी और पूर्ण ईंधन से भरा विमान स्थिति को और कठिन बना सकता है।