बूंद-बूंद के लिए लड़ेंगे...', क्या है महादयी नदी विवाद और गोवा के CM ने विरोध क्यों जताया?
महादयी नदी को लेकर कर्नाटक और गोवा के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के बयान के बाद यह विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है। प्रमोद सावंत ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि सरकार महादयी नदी के पानी को मोड़ने की गतिविधियों को स्वीकार नहीं करेगी। इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करेगी। इस पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि वह इस मामले में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए भी तैयार हैं। इन बयानों के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री सावंत और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया आमने-सामने आ गए हैं।
सिद्धारमैया ने कहा, "महादयी परियोजना पर गोवा के मुख्यमंत्री का बयान कर्नाटक के लोगों का अपमान है। केंद्र सरकार ने आधिकारिक तौर पर अपनी चिंताओं को क्यों नहीं व्यक्त किया है? क्या भाजपा शासन में संघवाद इसी तरह काम करता है? पिछले दरवाजे से तोड़फोड़, चुप्पी और विश्वासघात?" कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने पूछा कि क्या कन्नड़ लोगों को भाजपा के आगे न झुकने की सजा दी जा रही है।
महादयी परियोजना विवाद क्या है?
महादयी नदी के पानी को लेकर गोवा और कर्नाटक के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। हालाँकि, इस विवाद पर कई बार सहमति बनने के बाद भी बयानबाजी जारी है। महादयी नदी कुल 77 किलोमीटर लंबी है। इसका अधिकांश भाग गोवा से आता है। यानी 77 किलोमीटर में से 52 किलोमीटर गोवा में और शेष 29 किलोमीटर कर्नाटक में है। इसका उद्गम कर्नाटक के बेलगाम ज़िले में है।
कर्नाटक इस नदी पर एक परियोजना लाने की कोशिश कर रहा है। इसमें एक बाँध बनाना चाहता है। इसके ज़रिए पानी को कलसा और बंदुरी नामक दो नहरों में मोड़ना है। सरकार इसके ज़रिए अपने कई ज़िलों में पानी की आपूर्ति बढ़ाना चाहती है। हालाँकि, गोवा सरकार इस परियोजना के ख़िलाफ़ है। यही वजह है कि एक बार फिर मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने की बात कही है।
सिद्धारमैया ने सावंत के बयान पर क्या कहा?
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने विधानसभा में दिए एक बयान में कहा था कि केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह कर्नाटक में इस परियोजना को शुरू नहीं होने देंगे। सावंत के इस बयान के बाद ही कर्नाटक के सीएम निशाने पर आ गए हैं। कर्नाटक के सीएम सीतारामैया ने कहा कि महादयी कर्नाटक की पेयजल ज़रूरतों के लिए है। हमारे लोग दशकों से न्याय का इंतज़ार कर रहे हैं। इसके बाद भी भाजपा नेताओं में बोलने की हिम्मत नहीं है। उनकी चुप्पी हमेशा याद रखी जाएगी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 के एक ट्रिब्यूनल के फैसले में राज्य को 13.42 टीएमसी पानी आवंटित करने के बावजूद, केंद्र सरकार गोवा की भाजपा सरकार के साथ मिलकर परियोजना के कार्यान्वयन को रोक रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "यह परियोजना बेलगावी, धारवाड़, गडग, बागलकोट और आसपास के इलाकों के 40 लाख से ज़्यादा लोगों की प्यास बुझाएगी। यह एक जीवन रेखा है, सौदेबाज़ी का साधन नहीं। हम कर्नाटक को उसका वाजिब हिस्सा मिलने तक क़ानूनी, राजनीतिक और नैतिक रूप से लड़ेंगे।"

