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डॉक्टर कुट्टीकर ने ठकराई स्वास्थ्य मंत्री मंत्री विश्वजीत राणे की माफी, जानिए क्या है पूरा मामला?

गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार मामला गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में एक डॉक्टर को अचानक निलंबित किए जाने से जुड़ा है। शनिवार को मंत्री ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया....
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गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार मामला गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (जीएमसीएच) में एक डॉक्टर को अचानक निलंबित किए जाने से जुड़ा है। शनिवार को मंत्री ने अस्पताल का औचक निरीक्षण किया, जहां एक 77 वर्षीय मरीज की शिकायत पर डॉक्टर रुद्रेश कुट्टीकर को तत्काल निलंबित कर दिया गया। यह घटना कैमरे में कैद हुई और वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही मामला तूल पकड़ गया। इस वीडियो में मंत्री राणे मरीज के समक्ष डॉक्टर पर सख्त टिप्पणी करते दिख रहे हैं। वीडियो वायरल होते ही डॉक्टरों के बीच रोष फैल गया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और गोवा एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने मंत्री के व्यवहार की निंदा की और उनके खिलाफ विरोध दर्ज कराना शुरू कर दिया।

राणे की सार्वजनिक माफी से भी नहीं शांत हुआ मेडिकल समुदाय

विवाद के बढ़ते दबाव में मंत्री राणे को सार्वजनिक माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने पहले सोशल मीडिया और फिर एक टेलीविजन इंटरव्यू के माध्यम से कहा, "मैंने पहले ही माफी मांग ली है... नेशनल टीवी पर डॉक्टर से माफी मांगी, अब और क्या अपेक्षा की जा सकती है?" हालांकि, डॉक्टरों ने मंत्री की माफी को ‘प्रसंगहीन’ बताते हुए खारिज कर दिया और मांग की कि वे डॉक्टर से व्यक्तिगत तौर पर माफी मांगे। डॉक्टरों का कहना है कि सार्वजनिक अपमान के बाद केवल कैमरे पर माफी काफी नहीं है, बल्कि सम्मानपूर्वक व्यक्तिगत क्षमा याचना होनी चाहिए। राणे ने यह भी स्वीकार किया कि वीडियो में उनका व्यवहार और शब्दों का चयन अनुचित था। उन्होंने कहा, “मुझे डॉक्टर की बात सुननी चाहिए थी। जब एक बुजुर्ग मरीज को इंजेक्शन या इलाज नहीं मिलता, तो दुख होता है, लेकिन प्रतिक्रिया में संयम जरूरी था।”

डॉक्टर का निलंबन रद्द, लेकिन मनमुटाव बरकरार

स्थिति बिगड़ती देख मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने खुद हस्तक्षेप किया और डॉक्टर कुट्टीकर का निलंबन रद्द कर दिया। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री ने सफाई दी कि निलंबन को लेकर कोई औपचारिक आदेश उन्होंने नहीं भेजा था और यह केवल तत्काल प्रतिक्रिया में कही गई बात थी। राणे ने कहा, “हम सहकर्मी हैं, एक टीम की तरह काम करते हैं। डॉक्टर का निलंबन कभी औपचारिक नहीं हुआ। मुख्यमंत्री ने मुझे डांटा नहीं है, उन्होंने सिर्फ स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया है।” इस विवाद ने न केवल स्वास्थ्य विभाग के भीतर असंतोष बढ़ाया है, बल्कि प्रशासन और मेडिकल स्टाफ के बीच भरोसे की खाई भी गहरा दी है।

डॉक्टरों की चेतावनी और कांग्रेस की सियासी एंट्री

डॉक्टरों के संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि मंत्री व्यक्तिगत माफी नहीं मांगते और प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट नहीं की, तो वे हड़ताल कर सकते हैं। गोवा एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने राज्यव्यापी विरोध की धमकी दी है। इस पूरे विवाद को विपक्षी कांग्रेस ने भी मुद्दा बना लिया है। कांग्रेस ने मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। पार्टी ने कहा कि एक वरिष्ठ मंत्री का इस तरह किसी डॉक्टर को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना न केवल गैरजिम्मेदाराना है, बल्कि पूरी मेडिकल बिरादरी का अपमान है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि मंत्री का आचरण प्रशासनिक गरिमा के विरुद्ध है और मुख्यमंत्री को तुरंत हस्तक्षेप करते हुए राणे को हटाना चाहिए।

क्या समाधान की ओर बढ़ेगा विवाद या और भड़केगा मामला?

मंत्री राणे ने अपने इंटरव्यू में डॉक्टरों से फिर अपील की, “मैंने आपसे और आपके परिवार से माफी मांगी है। हमें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए। हम बैठकर चाय पी सकते हैं और इस मुद्दे को सुलझा सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि मरीजों को हड़ताल की कीमत नहीं चुकानी चाहिए और डॉक्टरों को संयम बरतना चाहिए। हालांकि डॉक्टरों की नाराजगी अभी भी बनी हुई है। वे इसे मंत्री के ‘अहंकारी रवैये’ का परिणाम मान रहे हैं और चाहते हैं कि ऐसे मामलों में भविष्य में स्पष्ट दिशानिर्देश तय हों। इस विवाद ने गोवा की स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक संबंधों में गहरे तनाव को उजागर कर दिया है। अब यह देखना अहम होगा कि क्या सरकार और डॉक्टर्स के बीच संवाद बहाल होता है या यह टकराव और गंभीर रूप लेता है। फिलहाल, चिकित्सा सेवा से जुड़े कर्मचारियों और मरीजों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

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