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बिना पायलट, बिना शोर... भारत ने कर ली स्वदेशी ड्रोन से दुश्मन पर कहर बरपाने की तैयारी, जानें इसकी घातक खूबियां

बिना पायलट, बिना शोर... भारत ने कर ली स्वदेशी ड्रोन से दुश्मन पर कहर बरपाने की तैयारी, जानें इसकी घातक खूबियां

भारतीय सेना के लिए एक बड़ी खबर है! कलाम लैब्स (@kalam_labs) ने नासिक के देवलाली स्थित आर्टिलरी मुख्यालय (HQ Artillery) में सेना को अपना नया स्ट्रैटोस्फेरिक कामिकेज़ यूएवी (मानव रहित हवाई वाहन) यानी आत्मघाती ड्रोन KAAL भेंट किया है। यह ड्रोन इतना खास है कि इसे भविष्य के युद्धों में गेमचेंजर माना जा रहा है।

यह स्ट्रैटोस्फेरिक कामिकेज़ यूएवी क्या है?
यह ड्रोन एक तरह का कामिकेज़ ड्रोन है, यानी यह दुश्मन के निशाने पर जाकर खुद को उड़ा लेता है, ताकि नुकसान पहुँचाया जा सके। इसे बहुत ऊँचाई (स्ट्रैटोस्फियर) पर उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जहाँ सामान्य ड्रोन नहीं पहुँच सकते। कलाम लैब्स ने इसे भारतीय सेना की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया है, खासकर ऊँचाई वाले इलाकों और लंबी दूरी के मिशनों के लिए। इसका परीक्षण देवलाली में किया गया। इसके परिणाम बेहतरीन रहे हैं।

विशेषताएँ जो इसे ख़ास बनाती हैं
ऊँचाई और रेंज: इस ड्रोन का परीक्षण 33,000 फीट (करीब 10 किलोमीटर) की ऊँचाई से किया गया है। यह इतनी ऊँचाई पर उड़ सकता है कि दुश्मन के लिए इसे पकड़ना मुश्किल हो जाता है। साथ ही, इसकी रेंज 100 किलोमीटर से भी ज़्यादा है, यानी यह बहुत दूर से भी हमला कर सकता है।
विस्फोटक क्षमता: इसमें 1 किलो का विस्फोटक वारहेड लगा है। यह छोटा ज़रूर है, लेकिन शक्तिशाली है, जो सटीक निशाना लगाने के लिए काफ़ी है।
जीपीएस-रहित वातावरण में काम: यह ड्रोन उन इलाकों में भी काम कर सकता है जहाँ जीपीएस सिग्नल उपलब्ध नहीं हैं। यानी अगर दुश्मन जीपीएस जाम भी कर दे, तो भी यह अपना काम जारी रखेगा। इसके लिए इसमें एक ख़ास नेविगेशन सिस्टम होगा, जो इसे सटीकता प्रदान करता है।
सटीक हमला: यह ड्रोन ऊँचाई से लेकर लंबी दूरी तक जाकर सटीक निशाना लगा सकता है। यह पहाड़ी इलाकों या दुर्गम जगहों पर दुश्मन के ठिकानों को तबाह करने के लिए ख़ास तौर पर उपयोगी है।

देवलाली में परीक्षण और सेना की प्रतिक्रिया
कलाम लैब्स ने इस ड्रोन का परीक्षण नासिक के देवलाली स्थित आर्टिलरी मुख्यालय में किया। यह स्थान सेना के लिए प्रशिक्षण और परीक्षण का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। परीक्षण में, ड्रोन ने 33,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ान भरी और अपनी रेंज और सटीकता का प्रदर्शन किया। सेना के अधिकारी इसकी क्षमता से प्रभावित हैं, क्योंकि यह ड्रोन लद्दाख या अरुणाचल प्रदेश जैसे ऊँचाई वाले क्षेत्रों में दुश्मन से निपटने के लिए बेहद उपयोगी हो सकता है।

यह ड्रोन गेम चेंजर क्यों है?
आजकल युद्धों में ड्रोन का इस्तेमाल काफी बढ़ गया है। कामिकेज़ ड्रोन खास तौर पर खतरनाक होते हैं क्योंकि ये दुश्मन के ठिकानों पर जाकर खुद को उड़ा लेते हैं। कलाम लैब्स का यह ड्रोन इसलिए खास है क्योंकि...

अपनी ऊँचाई और लंबी दूरी के कारण, यह दुश्मन के रडार से बच सकता है।
यह भारत में निर्मित है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को साकार करता है।
जीपीएस-रहित वातावरण में काम करने की क्षमता इसे और भी शक्तिशाली बनाती है।
1 किलो विस्फोटक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण लक्ष्यों, जैसे दुश्मन के शिविरों या वाहनों को नष्ट करने के लिए पर्याप्त है।
यह ड्रोन सेना को पहाड़ी इलाकों में बढ़त दिला सकता है, जहाँ पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल मुश्किल होता है। साथ ही, यह एक सस्ता और कारगर हथियार साबित हो सकता है।

भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत की सीमाएँ चीन और पाकिस्तान जैसे देशों से लगती हैं, जहाँ अक्सर तनाव बना रहता है। ऊँचाई वाले इलाकों में, यह ड्रोन दुश्मन की गतिविधियों को रोकने और सटीक हमले करने में मदद करेगा। इससे सेना को तुरंत और सुरक्षित प्रतिक्रिया देने की शक्ति मिलेगी।

भविष्य की संभावनाएँ
कलाम लैब्स पहले से ही हल्के और ऊँचाई पर उड़ान भरने वाले ड्रोन बनाने में माहिर है। इस ड्रोन के सफल परीक्षण के बाद, सेना इसे और बेहतर बनाने की योजना बना सकती है। अगर विस्फोटक की मात्रा बढ़ा दी जाए या इसकी रेंज बढ़ा दी जाए, तो यह और भी खतरनाक हथियार बन सकता है। सेना की अन्य शाखाओं, जैसे वायु सेना, में भी इसके इस्तेमाल पर विचार किया जा सकता है।

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