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पहले सावरकर पर टिपण्णी अब राहुल गांधी को क्यों सता रही जान की चिंता ? महात्मा गांधी की हत्या का हवाला देकर कही ये बात 

पहले सावरकर पर टिपण्णी अब राहुल गांधी को क्यों सता रही जान की चिंता ? महात्मा गांधी की हत्या का हवाला देकर कही ये बात 

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पुणे की एक अदालत में एक अर्जी दायर कर दावा किया है कि उनकी जान को गंभीर खतरा है। यह अर्जी सावरकर पर उनकी टिप्पणी से जुड़े मानहानि के एक मामले में दायर की गई है। महात्मा गांधी की हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इतिहास को खुद को दोहराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

राहुल गांधी ने अपनी अर्जी में दावा किया कि हाल ही में उनके द्वारा उठाए गए राजनीतिक मुद्दों और सावरकर पर पहले की गई टिप्पणियों ने उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बढ़ा दिया है। इस मामले में शिकायतकर्ता नाथूराम गोडसे का प्रत्यक्ष वंशज है। शिकायतकर्ता के परिवार का हिंसा और असंवैधानिक गतिविधियों का एक प्रलेखित इतिहास है।

राहुल गांधी ने कहा कि यह एक स्पष्ट, तार्किक और ठोस आशंका है कि मुझे नुकसान पहुँचाया जा सकता है, झूठे मामलों में फँसाया जा सकता है या अन्य तरीकों से निशाना बनाया जा सकता है। शिकायतकर्ता के परिवार का हिंसा का इतिहास रहा है। इतिहास को खुद को दोहराने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने यह बयान महात्मा गांधी की हत्या के संदर्भ में दिया।

भाजपा नेताओं से धमकियों का दावा

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि 'वोट चोरी' के आरोपों से उनके राजनीतिक विरोधी भड़क गए हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें भाजपा की ओर से दो सार्वजनिक धमकियाँ मिली हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री रवीनत सिंह बिट्टू ने उन्हें 'देश का नंबर एक आतंकवादी' कहा। वहीं, भाजपा नेता तरविंदर सिंह मारवाह ने भी धमकी दी। राहुल गांधी ने अदालत से आग्रह किया कि उनकी सुरक्षा के लिए इन धमकियों को गंभीरता से लिया जाए, क्योंकि उनकी जान को खतरा वास्तविक और गंभीर है।

यह कदम पूरी तरह अप्रासंगिक: सत्यकी सावरकर

वहीं, सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने कहा कि यह अर्जी बहुत पहले दायर की गई थी, लेकिन उनके (राहुल) द्वारा जानबूझकर मामले में देरी की जा रही है। राहुल गांधी का यह कदम पूरी तरह अप्रासंगिक है। अदालत पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि मामले की सुनवाई के लिए राहुल गांधी की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक नहीं है, इसके बावजूद वह कार्यवाही में देरी कर रहे हैं। उनकी अर्जी किसी भी तरह से मामले से जुड़ी नहीं है और इसका कोई औचित्य नहीं है।

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