
सिंह ने समय पर भुगतान के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि ऐसा करने में विफलता न केवल बिजली की आपूर्ति को प्रभावित करती है बल्कि कोयले की आपूर्ति पर भी दबाव डालती है, जो एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में निहित चुनौतियों को दशार्ता है। हालांकि, मंत्री ने निवेशकों को आश्वस्त किया कि बिजली क्षेत्र अब निवेश का अनुकूल अवसर है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वित्तीय कठिनाइयों का सामना करने वाली और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में दिवाला कार्यवाही से गुजरने वाली कई फर्मो ने सकारात्मक परिणाम देखे हैं। सिंह ने बिजली क्षेत्र में किए गए परिवर्तनकारी उपायों पर प्रकाश डाला, जिसके परिणामस्वरूप डिस्कॉम का नुकसान 22 प्रतिशत से घटकर 17 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने अगले साल तक घाटे को 15 प्रतिशत से कम करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का खुलासा किया। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करने और वैश्विक आपूर्ति श्रंखला में व्यवधान के बावजूद थर्मल और हाइड्रो क्षमता विस्तार दोनों के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। सिंह ने वैश्विक मांगों के अनुरूप सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से ऊर्जा प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
--आईएएनएस
एकेजे