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'कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग ने पकड़ा तूल! दिल्ली में सैकड़ों कश्मीरी नेताओं की हुंकार से केंद्र पर बढ़ा दबाव, देखे VIDEO 

'कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग ने पकड़ा तूल! दिल्ली में सैकड़ों कश्मीरी नेताओं की हुंकार से केंद्र पर बढ़ा दबाव, देखे VIDEO 

जम्मू-कश्मीर को लेकर राजधानी दिल्ली का सियासी पारा एक बार फिर चढ़ गया है। रविवार को सैकड़ों कश्मीरी नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की।प्रदर्शनकारियों का कहना था कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कश्मीर न केवल राजनीतिक अस्थिरता का शिकार हुआ है, बल्कि स्थानीय नेतृत्व की कमी के कारण आम जनता को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व जम्मू-कश्मीर के कई प्रमुख राजनीतिक चेहरों ने किया, जिनमें गुलाम नबी आज़ाद, मुज़फ़्फ़र शाह और मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी जैसे नेता शामिल थे। इन नेताओं ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जब कई विकास कार्यों का वादा किया गया था, तो लोगों को लगा था कि कश्मीर में स्थिरता आएगी, लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है।गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, "हम अनुच्छेद 370 की बहाली की बात नहीं कर रहे हैं, हम बस यही चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को उसके लोकतांत्रिक अधिकार दिए जाएँ। जब लद्दाख और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों में कोई निर्वाचित सरकार नहीं है, तो फिर जम्मू-कश्मीर को इतने लंबे समय तक जनप्रतिनिधियों के बिना क्यों रखा जा रहा है?"

प्रदर्शन के दौरान लोगों ने "हमें राज्य का दर्जा दो", "जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र बहाल करो" और "हमारा हक हमें वापस दो" जैसे नारे लगाए। यह विरोध प्रदर्शन सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड करने लगा और कई युवा कश्मीरी छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ऑनलाइन माध्यम से इस माँग का समर्थन किया।

हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी पार्टियों के नेता इस विरोध प्रदर्शन में मौजूद नहीं थे, लेकिन उन्होंने भी एक बयान जारी कर इसे लोकतंत्र के लिए एक ज़रूरी कदम बताया। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ़्ती ने ट्वीट किया, "जब तक हम कश्मीरियों को सम्मानजनक राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, तब तक वहाँ शांति और स्थिरता की बात अधूरी रहेगी।"

हालांकि इस विरोध प्रदर्शन पर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, गृह मंत्रालय पूरे घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए है।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि आने वाले महीनों में जम्मू-कश्मीर में चुनावों की घोषणा नहीं की गई तो इस तरह के विरोध प्रदर्शन और भी व्यापक हो सकते हैं।

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