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शर्मनाक आंकड़े: सिर्फ 11 साल की उम्र में बच्चों में बढ़ रहा ड्रग्स का चलन, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में खतरे की घंटी​​​​​​​

शर्मनाक आंकड़े: सिर्फ 11 साल की उम्र में बच्चों में बढ़ रहा ड्रग्स का चलन, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में खतरे की घंटी​​​​​​​

देश में ड्रग्स और नशे की लत की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। हालात इतने खराब हैं कि छोटे बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। 10 भारतीय शहरों में किए गए एक बड़े स्कूल सर्वे से पता चला है कि बच्चे उम्मीद से कहीं पहले ड्रग्स का इस्तेमाल करना शुरू कर रहे हैं, जिनकी औसत उम्र सिर्फ़ 12.9 साल है, जबकि कुछ तो 11 साल की उम्र से ही शुरू कर देते हैं। यह संख्या और भी ज़्यादा हो सकती है, क्योंकि ज़्यादातर बच्चों ने माना कि वे ड्रग्स के इस्तेमाल के बारे में पूछे जाने पर गलत जवाब देंगे।

दिल्ली, रांची और लखनऊ सहित 10 शहरों में किया गया सर्वे
नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ़ इंडिया में इस महीने छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, हर सात में से एक स्कूली छात्र ने कम से कम एक बार साइकोएक्टिव पदार्थ का इस्तेमाल किया है। इस स्टडी में दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, चंडीगढ़, हैदराबाद, लखनऊ, इम्फाल, जम्मू, डिब्रूगढ़ और रांची के 5,920 छात्र शामिल थे, जिनकी औसत उम्र 14.7 साल थी।

15 प्रतिशत छात्रों ने ड्रग्स का इस्तेमाल किया है
रिसर्च में पाया गया कि इन छात्रों में से 15.1% ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी नशीले पदार्थ का इस्तेमाल किया था, जबकि 10.3% ने पिछले साल और 7.2% ने पिछले महीने इसका इस्तेमाल किया था। तंबाकू (4%) और शराब (3.8%) के बाद सबसे ज़्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले पदार्थ ओपिओइड (2.8%), भांग (2%) और इनहेलेंट (1.9%) थे, जिसमें ज़्यादातर ओपिओइड का इस्तेमाल बिना प्रिस्क्रिप्शन वाली दवाओं के रूप में किया गया था।

यह मल्टी-सिटी स्टडी AIIMS, दिल्ली के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की हेड डॉ. अंजू धवन ने चंडीगढ़, डिब्रूगढ़, लखनऊ, बेंगलुरु, श्रीनगर, मुंबई, इम्फाल, हैदराबाद और रांची के मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर की थी। रिसर्च में पता चला कि 11वीं-12वीं क्लास के छात्रों में 8वीं क्लास के छात्रों की तुलना में पदार्थों का इस्तेमाल करने की संभावना दोगुनी थी। इन लड़कों में तंबाकू और भांग का इस्तेमाल ज़्यादा पाया गया, जबकि लड़कियां भी पीछे नहीं थीं, उनमें इनहेलेंट और फार्मास्युटिकल ओपिओइड का इस्तेमाल ज़्यादा था।

आधे से ज़्यादा छात्रों का कहना है कि वे ड्रग्स के इस्तेमाल को छिपाएंगे
हालांकि, सर्वे में यह भी पता चला कि आधे से ज़्यादा छात्रों ने कहा कि अगर उनसे पूछा गया तो वे अपने ड्रग्स के इस्तेमाल या लत को छिपाएंगे, जिससे पता चलता है कि असली संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है। सर्वे में नशे की लत और भावनात्मक परेशानी के बीच भी एक संबंध दिखाया गया। पिछले एक साल में जिन लोगों ने ड्रग्स का इस्तेमाल किया, उनमें से 31% लोग मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे थे, जबकि ड्रग्स इस्तेमाल न करने वालों में यह आंकड़ा 25% था। व्यवहार संबंधी समस्याओं, हाइपरएक्टिविटी और भावनात्मक लक्षणों में भी काफ़ी अंतर देखा गया।

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