अतिरिक्त सुरक्षा के लिए केन्द्र सरकार ने सेना प्रमुख को प्रादेशिक सेना के प्रत्येक अधिकारी और आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने वाले सभी अधिकारीयों को बुलाने का आदेश दिया

भारत सरकार ने हाल ही में एक अहम निर्णय लेते हुए सेना प्रमुख को विशेष शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार दिया है। साथ ही, प्रादेशिक सेना के प्रत्येक अधिकारी और प्रत्येक भर्ती व्यक्ति को आवश्यक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सक्रिय किया गया है। यह निर्णय भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। भारत सरकार द्वारा सेना प्रमुख को विशेष शक्तियाँ प्रदान करना और प्रादेशिक सेना के अधिकारियों और सैनिकों को आवश्यक सुरक्षा के लिए बुलाना, देश की सुरक्षा रणनीति में एक बड़ा और निर्णायक कदम है। यह कदम न केवल सैन्य संचालन को सशक्त बनाता है बल्कि राष्ट्र की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करता है।
"Central Government empowers the Chief of the Army Staff to exercise the powers.. call out every officer and every enrolled person of the Territorial Army to provide for essential guard...'#IndiaPakistanWar #IndianArmy #Pahalgam #OperationSindoor2
— DW Samachar (@dwsamachar) May 9, 2025
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सेना प्रमुख को विशेष शक्तियाँ क्यों दी गईं?
देश की सीमाओं पर बढ़ते खतरों, आतंकवादी गतिविधियों, और अंदरूनी अशांति को देखते हुए, केंद्र सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया कि सेना प्रमुख को संकट की घड़ी में तेजी से निर्णय लेने और कार्यवाही करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। इससे सैन्य संचालन में देरी नहीं होगी और युद्ध स्तर की स्थिति में समय रहते कार्रवाई हो सकेगी।
विशेष शक्तियाँ मिलने का अर्थ है कि सेना प्रमुख अब:
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युद्ध की स्थिति में तत्काल सैन्य संसाधनों का आवंटन कर सकते हैं।
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सीमा पर तैनात बलों को निर्देश दे सकते हैं।
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रणनीतिक हथियारों और टुकड़ियों के उपयोग का आदेश दे सकते हैं।
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बिना नौकरशाही प्रक्रिया के त्वरित निर्णय ले सकते हैं।
प्रादेशिक सेना: नागरिकों की भूमिका वाली सेना
प्रादेशिक सेना भारत की 'पार्ट-टाइम' सेना है जिसमें वे नागरिक शामिल होते हैं जो अपनी नियमित नौकरियों के साथ-साथ सैन्य सेवा भी देते हैं। इस सेना को आपात स्थिति में या विशेष राष्ट्रीय आवश्यकता के समय बुलाया जाता है।
सरकार ने प्रादेशिक सेना के प्रत्येक अधिकारी और भर्ती व्यक्ति को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से बुलाने का जो निर्णय लिया है, उसका मकसद है:
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सैनिक संसाधनों की पूर्ति करना।
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राज्यों में प्राकृतिक आपदा, आतंकी हमला या अन्य संकट की घड़ी में समर्थन देना।
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स्थानीय स्तर पर शांति और कानून व्यवस्था को बनाए रखना।
राष्ट्रीय सुरक्षा में परिवर्तन का संकेत
यह कदम साफ दर्शाता है कि भारत सरकार अब रक्षात्मक से अधिक आक्रामक और सक्रिय रणनीति की ओर बढ़ रही है। सेना प्रमुख को स्वायत्तता और प्रादेशिक सेना को सक्रिय करने का तात्पर्य यह है कि भारत अब किसी भी खतरे के प्रति तत्काल और कठोर जवाब देने के लिए तैयार है।
सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव
इस फैसले से न केवल सैन्य बलों का मनोबल बढ़ा है, बल्कि आम नागरिकों में भी देशभक्ति और सुरक्षा के प्रति जागरूकता आई है। प्रादेशिक सेना की सक्रियता यह दिखाती है कि अब सिर्फ प्रोफेशनल सोल्जर्स ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी देश की रक्षा में योगदान दे सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा सेना प्रमुख को दी गई शक्तियाँ और प्रादेशिक सेना को सक्रिय करना एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह न केवल भारतीय सैन्य प्रणाली को तेज और प्रभावी बनाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश अब किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है।