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राहुल गांधी ने सुना भदोही के बुनकरों का दर्द, फिर बोले- मैंने पहले ही कहा था तूफान बनकर आने वाला है ट्रंप का टैरिफ

राहुल गांधी ने सुना भदोही के बुनकरों का दर्द, फिर बोले- मैंने पहले ही कहा था तूफान बनकर आने वाला है ट्रंप का टैरिफ

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बीते दिनों ‘जनसंसद’ में भदोही के बुनकरों से मुलाकात की थी. बुनकरों ने उन्हें अपने हाथों से बनाई हुई एक कालीन भेंट की, जो कि उनके हुनर, मेहनत और सदियों पुरानी कला की झलक दिखाती है. इस दौरान कांग्रेस सांसद और बुनकरों के बीच लंबी बातचीत हुई थी. बुनकरों ने उन्होंने बताया कि कभी कार्पेट सिटी कहलाने वाला भदोही आज बदहाली का शिकार है. आइए जानते हैं कि इस मामले को लेकर राहुल गांधी ने बुनकरों से क्या-क्या कहा था.

राहुल गांधी ने कहा, मैंने पहले ही बोला था कि ट्रंप के टैरिफ एक आर्थिक तूफान बनकर आने वाले हैं, जिससे करोड़ों लोगों को नुकसान होगा. मगर नरेंद्र मोदी छुपकर बैठे हैं. आज भदोही के बुनकर उसी चेतावनी की जमीनी सच्चाई बयान कर रहे हैं. अमेरिका की भारत-विरोधी टैरिफ नीति का भयंकर असर देश के कई उद्योगों पर पड़ा है. भदोही का कार्पेट व्यापार भी उससे लगभग तबाह हो गया है.

सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया
उन्होंने आगे कहा, दुर्भाग्य यह है कि सरकार ने इस उद्योग को संभालने या पुनर्जीवित करने के लिए न विदेश नीति द्वारा, न किसी राष्ट्रीय योजना से कोई ठोस कदम नहीं उठाया. नतीजा यह है कि निर्यात लगातार घट रहा है और कारोबार बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल जैसे देशों की ओर शिफ्ट हो रहा है. यह सब प्रधानमंत्री की ही संसदीय क्षेत्र की सच्चाई है, जहां बुनकर आज कह रहे हैं ‘चिराग तले अंधेरा’ क्योंकि मोदी जी ने उनकी तकलीफों से आंखें मूंद ली हैं.

मेहनतकश परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएं तक नहीं
राहुल गांधी ने कहा, सदियों पुरानी यह कला, जो उनके व्यापार का आधार है, भारत की पहचान है और लाखों लोगों की रोजी-रोटी का साधन है. आज शोषण और सरकारी उपेक्षा का शिकार है. हालात इतने खराब हैं कि इन मेहनतकश परिवारों को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं.

यही वो छोटे उद्योग और छोटे व्यवसाय हैं

उन्होंने कहा कि यही वो छोटे उद्योग और छोटे व्यवसाय हैं जिनकी मैं लगातार बात करता हूं जो रोजगार पैदा करते हैं, अर्थव्यवस्था को मजबूत करते हैं और देश को आगे बढ़ाते हैं. अब जरूरत है कि नीतियों और आर्थिक सहयोग के जरिए शक्ति इन लोगों के हाथों में लौटाई जाए. ताकि ये कारीगर फिर से भारत का नाम रोशन कर सकें और देश की अर्थव्यवस्था का पहिया आगे बढ़ा सके.

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