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ऑपरेशन सिंदूर...शशि थरूर के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेगी कांग्रेस, जानिए क्या है वजह 

कांग्रेस नेता और सांसद डॉ. शशि थरूर द्वारा पनामा में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिए गए एक बयान ने पार्टी के भीतर विवाद खड़ा कर दिया है। इस बयान में थरूर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) वह पहली पार्टी थी जिसने 2016 में पाकिस्तान के....
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कांग्रेस नेता और सांसद डॉ. शशि थरूर द्वारा पनामा में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिए गए एक बयान ने पार्टी के भीतर विवाद खड़ा कर दिया है। इस बयान में थरूर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) वह पहली पार्टी थी जिसने 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की थी, और 2019 में एक बार फिर पाकिस्तान को करारा जवाब दिया गया। इस बयान के बाद कांग्रेस में असंतोष की लहर फैल गई और पार्टी के कई नेता खुलकर थरूर की आलोचना करने लगे।

रणदीप सुरजेवाला ने दी सफाई

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने इस पूरे मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा कि शशि थरूर का बयान तथ्यात्मक रूप से गलत था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान भी सर्जिकल स्ट्राइक जैसी सैन्य कार्रवाइयां पाकिस्तान के खिलाफ की जाती थीं। सुरजेवाला ने कहा कि “पार्टी ने थरूर को नीचा दिखाने के लिए कुछ नहीं कहा, बल्कि केवल इतिहास को सही संदर्भ में पेश किया है।”

उन्होंने यह भी दोहराया कि कांग्रेस सरकार ने हमेशा आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब दिया है और देश की सुरक्षा के साथ कभी समझौता नहीं किया। “इन ऑपरेशनों को सशस्त्र बलों ने अंजाम दिया, चाहे वो यूपीए हो या एनडीए। इसे राजनीतिक रंग देना अनुचित है,” सुरजेवाला ने कहा।

पार्टी में नाराज़गी, नेताओं के तीखे बयान

थरूर के बयान के बाद कांग्रेस के भीतर ही तीखी प्रतिक्रियाएं आने लगीं। कांग्रेस नेता उदित राज ने सबसे पहले मोर्चा खोला और थरूर को भाजपा का "सुपर प्रवक्ता" बताते हुए कहा कि वो कांग्रेस को कमजोर करने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “थरूर का बयान झूठ पर आधारित है और उन्हें भाजपा का प्रचारक घोषित कर देना चाहिए।”

इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने भी सार्वजनिक रूप से थरूर को घेरा। उन्होंने थरूर की ही लिखी हुई किताब “The Paradoxical Prime Minister” का हवाला देते हुए कहा कि थरूर खुद उस किताब में यूपीए शासनकाल के दौरान की गई सर्जिकल स्ट्राइकों का उल्लेख कर चुके हैं। खेड़ा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर लिखा कि “थरूर की यह टिप्पणी कांग्रेस की पुरानी सैन्य कार्रवाईयों को नजरअंदाज करने की कोशिश है, जो अस्वीकार्य है।”

शशि थरूर की सफाई

हालांकि, इस आलोचना के बीच शशि थरूर की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि, “मेरा बयान युद्धों या इतिहास पर नहीं था, बल्कि हाल की आतंकवादी घटनाओं और उनके जवाबों पर केंद्रित था।” उन्होंने कहा कि उनके शब्दों को तोड़ा-मरोड़ा गया है और आलोचकों को "ट्रोल्स और कट्टरपंथी" करार दिया। थरूर ने यह भी कहा कि उनके पास इससे ज्यादा ज़रूरी काम हैं और वे इन बहसों में उलझना नहीं चाहते। उनका कहना है कि उन्होंने केवल यह स्पष्ट किया था कि 2016 और 2019 की सर्जिकल स्ट्राइकों ने वैश्विक स्तर पर भारत की जवाबी क्षमता को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया।

कांग्रेस के लिए नई चुनौती

इस विवाद ने कांग्रेस के भीतर आंतरिक समन्वय और संवाद की कमी को उजागर किया है। जहां एक तरफ पार्टी खुद को देश की सुरक्षा और सैन्य इतिहास के प्रति प्रतिबद्ध दिखाने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ नेताओं के बयानों में असंगति और विरोधाभास नजर आ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रकार के बयानों से कांग्रेस की छवि को नुकसान हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब पार्टी देशभर में खुद को एक सशक्त विकल्प के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है।

निष्कर्ष

शशि थरूर के बयान ने एक बार फिर यह साबित किया है कि राजनीतिक दलों को अपने नेताओं के बयानों पर स्पष्टता और एकरूपता बनाए रखने की जरूरत है। कांग्रेस ने भले ही इसे “तथ्य सुधार” का मामला बताया हो, लेकिन यह विवाद पार्टी की एकजुटता और आंतरिक समन्वय पर कई सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस मुद्दे को शांतिपूर्वक सुलझा पाती है या नहीं।

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