
सर्वेक्षण में लगभग 47 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि मोदी शासन स्ट्रीट पावर के आगे झुक गया है, जबकि उनमें से लगभग 42 प्रतिशत की राय थी कि उनकी सरकार ने समय रहते सुधार किया है। गौरतलब है कि राजग के एक-तिहाई समर्थकों का मानना है कि मोदी सरकार स्ट्रीट पावर के सामने घुटने टेक चुकी है। मोदी सरकार 2020 में एक अध्यादेश के बाद संसद में तीन ऐतिहासिक कृषि कानूनों को पारित कराने में कामयाब रही, जब भारत कोविड महामारी की चपेट में था। देश भर में किसानों के समर्थन का दावा करने वाले विभिन्न हित समूहों ने कानूनों के खिलाफ मुखर रूप से विरोध किया था और लगभग एक साल तक राजधानी दिल्ली की घेराबंदी की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने नवंबर 2021 में राष्ट्र को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस ले रही है। इस कदम ने कई मोदी समर्थकों को निराश किया था जो आश्वस्त थे कि तीनों कानून वास्तव में सुधारवादी थे, और इससे आम किसानों को मदद मिलती। इसी तरह, दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम के पारित होने के कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसकी परिणति फरवरी 2020 में दिल्ली में हिंसक सांप्रदायिक दंगों में हुई थी जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे।
--आईएएनएस
एकेजे