बस कुछ दिनों का इंतजार...कौन होगा बीजेपी का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष? साउथ से ये नाम सबसे आगे

भाजपा के नए अध्यक्ष का चुनाव लगातार टलता जा रहा है। अब खबर है कि जेपी नड्डा के विकल्प पर अगस्त तक ही फैसला हो सकता है। जून का महीना करीब आधा बीत चुका है और यूपी, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों के अध्यक्षों का चुनाव नहीं हो पाया है। ऐसे में इन राज्यों के अध्यक्ष तय होने के बाद ही भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पर फैसला लेगी। माना जा रहा है कि जुलाई तक प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो जाएगा और उसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पर फैसला हो सकता है। भाजपा के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए देश के कम से कम आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव होना जरूरी है।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी अभी सलाह ली जानी बाकी है। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि संघ की सहमति से ही अध्यक्ष का चुनाव हो। ऐसा इसलिए क्योंकि आरएसएस चाहेगा कि उसकी पृष्ठभूमि का कोई नेता अध्यक्ष बने। भाजपा और संघ का नेतृत्व अक्सर प्रदेश अध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक के पदों पर किसी बाहरी को महत्व नहीं देना चाहता। पार्टी नेतृत्व को लगता है कि संगठन की कमान वैचारिक रूप से मजबूत लोगों के हाथ में होनी चाहिए। यही वजह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में जिन लोगों के नाम आ रहे हैं, उनमें से ज्यादातर या तो संघ में रहे हैं या खांटी भाजपा में।
फिलहाल यह तय माना जा रहा है कि भाजपा नए अध्यक्ष के नेतृत्व में ही बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेगी। बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर में होने हैं। भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में इतनी देरी कभी नहीं हुई, लेकिन पहले लोकसभा चुनाव और फिर महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण चीजें टल गईं। अब प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो रहा है और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष पर मंथन होगा। हालांकि, 2014-15 में जब अमित शाह को कमान मिली थी, तो उन्हें ज्यादा समय नहीं मिला था। फिर जब 2020 में जेपी नड्डा को अध्यक्ष बनाया गया, तो यह प्रक्रिया ज्यादा लंबी नहीं थी।
दरअसल, भाजपा के लिए यूपी, एमपी और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का अध्यक्ष चुनना बहुत आसान नहीं है। ओबीसी वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिशों के बीच बीजेपी भी चाहेगी कि यूपी में किसी पिछड़े नेता को मौका मिले. अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राजपूत हैं तो संगठन की कमान किसी ओबीसी नेता को दी जा सकती है. वहीं, मध्य प्रदेश में अगर सीएम पिछड़ी जाति से है तो संगठन की कमान किसी सवर्ण नेता को दी जा सकती है. बता दें कि आरएसएस का खुला मत है कि बीजेपी को संगठन को और मजबूत करना चाहिए क्योंकि 2024 के चुनाव नतीजे उसके लिए खतरे की घंटी हैं. गौरतलब है कि जेपी नड्डा का कार्यकाल 2023 में खत्म हो रहा है, लेकिन तब से वह इसे बढ़ाते आ रहे हैं. फिलहाल जो नाम रेस में बताए जा रहे हैं उनमें शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, सुनील बंसल और मनोहर लाल खट्टर जैसे नेता शामिल हैं. इसके अलावा साउथ से जी किशन रेड्डी भी चर्चा में हैं.