जयशंकर ने खोली पाकिस्तान की पोल, किया राजनाथ सिंह के फैसले का समर्थन, जानें पूरा मामला

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हाल ही में चीन गए थे। यहां उन्होंने एससीओ की बैठक में हिस्सा लिया। हालांकि, बैठक के दौरान एससीओ ने संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। अब राजनाथ सिंह के इस कदम को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सही ठहराया है। दरअसल, एस जयशंकर ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि एससीओ का एक सदस्य देश संयुक्त बयान में आतंकवाद का कोई जिक्र नहीं चाहता था, जबकि संगठन का गठन आतंकवाद से लड़ने के मकसद से किया गया था।
जानिए क्या कहा एस जयशंकर ने
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा कि जब संगठन का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है और आप इसका जिक्र नहीं करने दे रहे हैं, तो उन्होंने (राजनाथ सिंह) इसे स्वीकार करने में अनिच्छा जताई। साथ ही उन्होंने उस देश का नाम नहीं लिया जो परिणाम बयान में आतंकवाद का जिक्र नहीं करना चाहता था। लेकिन उन्होंने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कहा कि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कौन सा देश ऐसा है।
एससीओ सर्वसम्मति से चलता है
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एससीओ सर्वसम्मति से चलता है। इसलिए राजनाथ जी ने साफ कहा कि अगर बयान में आतंकवाद का जिक्र नहीं होगा तो हम इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे।
संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से किया इनकार
बता दें कि चीन के क़िंगदाओ दौरे पर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। उन्होंने आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं, खासकर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को संबोधित करने में विफलता का हवाला दिया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। बताया जाता है कि संयुक्त बयान में पहलगाम हमले का जिक्र नहीं था, लेकिन इसमें 11 मार्च को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी द्वारा पाकिस्तान में जाफर एक्सप्रेस को हाईजैक करने का जिक्र था। वहीं, राजनाथ सिंह के इस कदम की वजह से एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त विज्ञप्ति जारी नहीं हो सकी।
एससीओ की बैठक में ये देश शामिल हैं
भारत के अलावा एससीओ के सदस्य देशों में कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। भारत 2017 में एससीओ का सदस्य बना और 2023 में रोटेशनल चेयरमैन का पद संभाला।