5वीं पीढ़ी फाइटर जेट के लिए फ्रांस की मदद से भारत में बनेगा इंजन, मोदी सरकार ने ट्रंप को दिया करारा जवाब
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में घोषणा की कि भारत अब पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (फिफ्थ जेनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट) बनाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इसके साथ ही, इन विमानों के इंजन भी भारत में ही बनाए जाएँगे। यह काम फ़्रांसीसी कंपनी सफ़्रान के सहयोग से किया जाएगा। यह घोषणा भारत के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। साथ ही अमेरिका को करारा जवाब भी। क्योंकि वह तेजस के लिए जो इंजन देने वाला था, वह अभी भी उसी में पड़ा है। साथ ही टैरिफ़ विवाद भी चल रहा है।
पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान: क्या है ख़ास?
भारत का एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) ऐसा ही एक विमान होगा, जो हवाई वर्चस्व और दूर तक मार करने में सक्षम होगा। इसे 25 टन वज़न और दोहरे इंजन डिज़ाइन के साथ बनाया जा रहा है।
सफ़्रान के साथ साझेदारी: क्यों है ख़ास?
भारत ने फ़्रांस की प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी AMCA के लिए इंजन बनाने हेतु सफ़्रान कंपनी को चुना है। सैफ्रॉन राफेल लड़ाकू विमान के लिए M88 इंजन का निर्माण करता है, जो पहले से ही भारतीय वायु सेना की सेवा में है। इस साझेदारी की मुख्य विशेषताएँ...
120 किलो न्यूटन (kN) इंजन: यह नया इंजन AMCA के Mk-2 संस्करण को शक्ति प्रदान करेगा, जो दुनिया के सबसे शक्तिशाली इंजनों में से एक होगा।
100% प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT): सैफ्रॉन इंजन के डिज़ाइन, विकास और उत्पादन की संपूर्ण तकनीक भारत को हस्तांतरित करेगा। इससे भारत को बौद्धिक संपदा (IP) पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त होगा।
स्वदेशी उत्पादन: इस इंजन का निर्माण भारत में ही किया जाएगा, जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
दीर्घकालिक परियोजना: इंजन के निर्माण में 10 वर्ष लग सकते हैं। इसे DRDO और इसकी गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) प्रयोगशाला के सहयोग से विकसित किया जाएगा।
एयरोस्पेस इकोसिस्टम: सैफ्रॉन भारत में एक संपूर्ण इंजन निर्माण इकोसिस्टम बनाने का प्रस्ताव रखता है, जिसमें आपूर्ति श्रृंखला और रखरखाव सुविधाएँ शामिल होंगी।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम फ़्रांसीसी कंपनी सैफ्रॉन के साथ मिलकर भारत में इंजनों का निर्माण शुरू करने जा रहे हैं। इससे भारत की रक्षा क्षमता और मज़बूत होगी।
एएमसीए: भारत का स्टील्थ ड्रीम
एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) भारत का पहला पाँचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान होगा, जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) और निजी कंपनियों के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। इसकी विशेषताएँ...
दो प्रकार
एमके-1: शुरुआती मॉडल में GE-414 इंजन (98 kN) का इस्तेमाल होगा, जो अमेरिका से मँगवाया जाएगा।
एमके-2: उन्नत मॉडल में सैफ्रॉन का 120 kN इंजन होगा, जो भारत में बनाया जाएगा।
उत्पादन: 2035 तक भारतीय वायु सेना में 7 स्क्वाड्रन (126 विमान) शामिल किए जाएँगे।
लागत: प्रोटोटाइपिंग और डिज़ाइन के लिए 15,000 करोड़ रुपये को पिछले साल कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने मंज़ूरी दी थी।
विशेषताएँ: स्टील्थ, सुपरक्रूज़, आंतरिक हथियार बे और उन्नत सेंसर।
एएमसीए भारत की वायु शक्ति को बढ़ाएगा और चीन व पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के खिलाफ उसे रणनीतिक बढ़त दिलाएगा।
स्वदेशी इंजन क्यों ज़रूरी है?
भारत लंबे समय से लड़ाकू विमानों के लिए विदेशी इंजनों पर निर्भर रहा है। उदाहरण के लिए...
तेजस एमके-1ए: जीई-एफ404 इंजन (अमेरिका)।
तेजस एमके-2: जीई-एफ414 इंजन (अमेरिका)।
राफेल: एम88 इंजन (सैफ्रन, फ्रांस)।
सु-30 एमकेआई: एएल-31 इंजन (रूस)।
लेकिन विदेशी इंजनों की आपूर्ति में देरी और रखरखाव की लागत भारत के लिए एक चुनौती रही है। उदाहरण के लिए, जीई-एफ404 इंजनों की डिलीवरी में दो साल की देरी के कारण तेजस एमके-1ए का उत्पादन धीमा हो गया। कावेरी इंजन परियोजना, जो भारत का स्वदेशी इंजन विकसित करने का प्रयास था, अपर्याप्त शक्ति (थ्रस्ट) के कारण विफल हो गई।
सैफ्रॉन के साथ यह साझेदारी भारत को...
आत्मनिर्भरता: विदेशी निर्भरता कम करेगी।
नौकरियाँ: हज़ारों उच्च-कुशल नौकरियाँ सृजित होंगी।
निर्यात: भारत भविष्य में इंजनों का निर्यात कर सकता है।
तकनीकी विकास: क्रिस्टल ब्लेड, लेज़र ड्रिलिंग और हॉट-एंड कोटिंग जैसी उन्नत तकनीकों में महारत हासिल होगी।
भारत-फ़्रांस के मज़बूत संबंध
भारत और फ़्रांस के बीच रक्षा सहयोग पहले से ही मज़बूत है। कुछ उदाहरण...
राफेल सौदा: भारतीय वायु सेना के पास 36 राफेल विमान हैं। नौसेना ने 26 राफेल-मरीन का ऑर्डर दिया है।
हेलीकॉप्टर इंजन: सैफ्रॉन और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 400 हेलीकॉप्टर इंजन बनाए हैं, जिनका इस्तेमाल एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) में किया जाता है।
एमआरओ केंद्र: सैफ्रॉन ने हैदराबाद में M88 इंजनों के लिए एक रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) केंद्र शुरू किया है, जो दुनिया में अपनी तरह का पहला केंद्र है।
इस साझेदारी की नींव 2022 में सैफ्रॉन के सीईओ ओलिवियर एंड्रियास और राजनाथ सिंह के बीच हुई बैठक में रखी गई थी। यह साझेदारी अब होराइज़न 2047 रोडमैप का हिस्सा है, जो भारत-फ्रांस रणनीतिक संबंधों को और मज़बूत करेगा।
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तेजस: आत्मनिर्भरता का प्रतीक
राजनाथ सिंह ने तेजस लड़ाकू विमान को भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण बताया। हाल ही में...
एचएएल को 97 तेजस विमानों के लिए 66,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया गया। इससे पहले, 83 विमानों के लिए 48,000 करोड़ रुपये का ऑर्डर दिया गया था।
सिंह ने कहा कि हम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन हम हर समस्या का समाधान करेंगे और भारत में लड़ाकू विमान बनाने की पूरी क्षमता हासिल करेंगे।
मेक इन इंडिया और ग्लोबल
राजनाथ सिंह ने वैश्विक कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया सिर्फ़ भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए है। मेक इन इंडिया, दुनिया के लिए बनाओ। भारत ने पिछले एक दशक में अपने रक्षा निर्यात को 686 करोड़ रुपये (2013-14) से बढ़ाकर 23,622 करोड़ रुपये (2024-25) कर दिया है। 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य है।
सैफ्रॉन के साथ यह साझेदारी भारत को एक वैश्विक रक्षा आपूर्तिकर्ता बनाने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर कहा था कि हमें प्रणोदन, अर्धचालक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी महत्वपूर्ण तकनीकों में आत्मनिर्भर बनना होगा। यह परियोजना इसी दिशा में एक कदम है।
चुनौतियाँ और भविष्य
चुनौतियाँ: इंजन बनाना एक जटिल और लंबी (10 वर्ष) प्रक्रिया है। इसकी लागत 7 अरब डॉलर (लगभग 58,000 करोड़ रुपये) तक हो सकती है।
अवसर: यह परियोजना भारत को एयरोस्पेस तकनीक में विश्व में अग्रणी बनाएगी। इससे उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के रक्षा औद्योगिक गलियारों को बढ़ावा मिलेगा।

