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भारत विकसित कर रहा तीन प्रकार के छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, जानें केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसके क्या फायदे बताए

भारत अब ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठा रहा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 24 जुलाई 2025 को राज्यसभा में बताया कि भारत तीन प्रकार के लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) बना रहा है, जिनमें से एक विशेष रूप से हाइड्रोजन उत्पादन के लिए होगा...
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भारत अब ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठा रहा है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 24 जुलाई 2025 को राज्यसभा में बताया कि भारत तीन प्रकार के लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) बना रहा है, जिनमें से एक विशेष रूप से हाइड्रोजन उत्पादन के लिए होगा। ये रिएक्टर न केवल बिजली पैदा करेंगे, बल्कि उद्योगों और परिवहन के लिए स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करके पर्यावरण को बचाने में भी मदद करेंगे।

एसएमआर क्या है?

लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) छोटे आकार के परमाणु रिएक्टर होते हैं, जो पारंपरिक बड़े रिएक्टरों से अलग होते हैं। ये 200 मेगावाट से कम बिजली उत्पन्न करते हैं। ये कारखाने में बनाए जाते हैं और आसानी से कहीं भी स्थापित किए जा सकते हैं। इनके कई फायदे हैं...

भारत के तीन एसएमआर: क्या खास है?

जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत तीन प्रकार के एसएमआर डिज़ाइन कर रहा है, जो पूरी तरह से स्वदेशी होंगे...

200 मेगावाट बीएसएमआर (भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर)

यह रिएक्टर बिजली उत्पादन के लिए है। इसे एनपीसीआईएल के साथ परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के स्थलों पर स्थापित किया जाएगा।

लागत: पहले रिएक्टर की लागत लगभग 5,750 करोड़ रुपये होगी।

उपयोग: बड़े उद्योगों और शहरों को स्वच्छ बिजली प्रदान करेगा।

55 मेगावाट एसएमआर

यह छोटा रिएक्टर उन जगहों के लिए है जहाँ कम बिजली की आवश्यकता होती है। इसका उपयोग पुराने कोयला संयंत्रों को बदलने के लिए किया जाएगा, ताकि कार्बन उत्सर्जन कम हो।

5 मेगावाट उच्च तापमान गैस-शीतित रिएक्टर (जीसीआर)

यह रिएक्टर विशेष रूप से हाइड्रोजन उत्पादन के लिए बनाया जा रहा है।

इसे एक थर्मोकेमिकल प्रक्रिया (जैसे कॉपर-क्लोराइड या आयोडीन-सल्फर चक्र) के साथ जोड़ा जाएगा, जिससे हाइड्रोजन बनेगा।

उपयोग: हाइड्रोजन का उपयोग परिवहन (जैसे हाइड्रोजन कार) और उद्योगों (जैसे स्टील और रसायन) में किया जाएगा।

खास बात: इन रिएक्टरों के निर्माण की मंजूरी मिल गई है। ये संरचनाएँ 60-72 महीनों (5-6 वर्ष) में तैयार हो सकती हैं, बशर्ते प्रशासनिक मंजूरी जल्दी मिल जाए।

हाइड्रोजन उत्पादन: क्यों अहम है?

हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन माना जाता है, क्योंकि इसे जलाने पर केवल पानी निकलता है, कार्बन नहीं। लेकिन इसे बनाना महंगा और जटिल है। भारत का 5 मेगावाट क्षमता वाला जीसीआर रिएक्टर एक थर्मोकेमिकल प्रक्रिया के माध्यम से हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा, जिसमें...

कॉपर-क्लोराइड (Cu-Cl) और आयोडीन-सल्फर (I-S) जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। BARC ने इन तकनीकों का विकास और परीक्षण पहले ही कर लिया है। इस हाइड्रोजन का उपयोग ट्रकों, बसों और कारों में ईंधन के रूप में किया जाएगा, जिससे पेट्रोल-डीज़ल की आवश्यकता कम हो जाएगी।

भारत की परमाणु ऊर्जा: वर्तमान और भविष्य

वर्तमान में भारत में 25 परमाणु रिएक्टर हैं, जो 8880 मेगावाट बिजली उत्पन्न करते हैं। इनमें से एक रिएक्टर (RAPS-1, 100 मेगावाट) बंद हो गया है। हाल ही में...

काकरापार (KAPS-3 और 4) और राजस्थान (RAPP-7) में 700 मेगावाट के तीन नए रिएक्टर चालू किए गए हैं। 18 और रिएक्टर (13,600 मेगावाट) निर्माणाधीन हैं, जिनमें 500 मेगावाट का प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (भाविनी) भी शामिल है। इनके पूरा होने पर, भारत की परमाणु क्षमता 22,480 मेगावाट हो जाएगी।

एसएमआर इस क्षमता को और बढ़ाएँगे, क्योंकि ये छोटे, निर्माण में तेज़ और सस्ते होते हैं। ये पुराने कोयला संयंत्रों की जगह लेने और हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेंगे।

भारत के लिए लाभ

स्वच्छ ऊर्जा: एसएमआर कोयले जैसे प्रदूषणकारी ईंधनों की जगह लेंगे, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा। ये भारत को अपने नेट-ज़ीरो 2070 लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेंगे।

उद्योगों के लिए बिजली: इस्पात, सीमेंट और रसायन जैसे ऊर्जा-गहन उद्योगों को सस्ती और स्वच्छ बिजली मिलेगी। इससे भारत के मेक इन इंडिया मिशन को और बल मिलेगा।

हाइड्रोजन क्रांति: हाइड्रोजन से चलने वाले वाहन और उद्योग भारत को पेट्रोल-डीज़ल के आयात पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद करेंगे।

आर्थिक विकास: इन रिएक्टरों के अधिकांश उपकरण भारत में ही बनाए जाएँगे, जिससे स्वदेशी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। डीएई ने कहा कि भारतीय कंपनियां इन रिएक्टरों का निर्माण करने में सक्षम हैं।

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