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राहुल गांधी के 'सरेंडर' बयान पर शशि थरूर का पलटवार, कहा - भारत को तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान युद्धविराम को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राहुल गांधी ने दावा किया कि पीएम मोदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में पाकिस्तान से युद्धविराम कर...
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान युद्धविराम को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राहुल गांधी ने दावा किया कि पीएम मोदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दबाव में पाकिस्तान से युद्धविराम कर आत्मसमर्पण कर दिया। इस बयान से देश की राजनीति में भूचाल आ गया है।

राहुल का ‘नरेंदर, सरेंडर’ तंज

4 जून को मध्यप्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “ट्रंप ने फोन किया और कहा, ‘नरेंदर, सरेंडर’। और मोदी जी ने ‘जी हुजूर’ कर दिया।" उन्होंने 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी की सख्त भूमिका से तुलना करते हुए बीजेपी-आरएसएस पर आरोप लगाया कि ये थोड़ा दबाव पड़ते ही डर जाते हैं। इस बयान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसे “राष्ट्रद्रोह और भारतीय सेना का अपमान” बताया। वहीं प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी को पाकिस्तान का एजेंट करार देते हुए कहा कि उन्हें देश की सेना की उपलब्धियों पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं।

ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि

बीजेपी नेताओं के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान में 300 किलोमीटर अंदर घुसकर 11 हवाई अड्डों को ध्वस्त किया, 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया और 150 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया। सरकार ने दावा किया कि इस मिशन में किसी तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं थी।

शशि थरूर का संतुलित जवाब

इस विवाद में उस वक्त नया मोड़ आया जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर ने राहुल गांधी के बयान को परोक्ष रूप से खारिज कर दिया। अमेरिका दौरे पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थरूर ने वाशिंगटन डीसी में मीडिया से बातचीत में कहा: "भारत को किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की आवश्यकता नहीं है। हमने किसी से कुछ मांगा नहीं। जब पाकिस्तान ने युद्धविराम की बात की, तो भारत ने भी अपनी रणनीति के तहत प्रतिक्रिया दी।" थरूर ने आगे कहा कि “अगर भविष्य में भी पाकिस्तान आतंकी हरकतें करता है, तो भारत उसी भाषा में जवाब देगा। हमें अपनी रक्षा के लिए किसी की इजाज़त नहीं चाहिए।”

बिना नाम लिए राहुल की आलोचना

थरूर की खास बात यह रही कि उन्होंने न तो राहुल गांधी का नाम लिया, न ही सीधे आलोचना की, लेकिन उनके कथनों ने राहुल के बयान की विश्वसनीयता को प्रभावित जरूर किया। उनके जवाब से यह स्पष्ट संकेत गया कि कांग्रेस के भीतर भी सभी नेता राहुल गांधी के ‘सरेंडर’ वाले बयान से सहमत नहीं हैं। जब एक महिला पत्रकार ने थरूर से सीधे पूछा कि राहुल गांधी ने तो साफ कहा कि मोदी ने ट्रंप के सामने आत्मसमर्पण किया, तो थरूर ने संयमित अंदाज़ में कहा, “हम अमेरिका के राष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, लेकिन भारत ने किसी से मध्यस्थता नहीं मांगी। हमारे पास अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है।”

बीजेपी बनाम थरूर: कौन ज़्यादा असरदार?

जहां बीजेपी ने राहुल गांधी पर आक्रामक और भावनात्मक हमला किया, वहीं थरूर का बयान तथ्यात्मक और संतुलित रहा। बीजेपी के आरोप जहां एक खास वर्ग को उकसाने की कोशिश लगते हैं, वहीं थरूर की बातों में बौद्धिक परिपक्वता और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता नज़र आई। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि थरूर की प्रतिक्रिया अधिक प्रभावी रही क्योंकि उसमें न तो व्यक्तिगत हमले थे और न ही अतिशयोक्ति। उन्होंने यह साबित किया कि भारत की कूटनीति आत्मनिर्भर और संप्रभु है।

निष्कर्ष

राहुल गांधी का ‘नरेंदर, सरेंडर’ बयान कांग्रेस के लिए एक असहज स्थिति बन गया है। इस बयान से न केवल विरोधियों को हमला करने का मौका मिला बल्कि पार्टी के भीतर भी मतभेद सामने आए। वहीं शशि थरूर ने जिस तरह संयम, कूटनीति और तथ्यों के साथ राहुल गांधी के दावे को चुनौती दी, वह भारतीय राजनीति में “विरोध के भीतर संतुलन” की मिसाल बन गई है।

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