ना ना करते केजरीवाल ही जाएंगे राज्यसभा, गुजरात उपचुनाव की जीत तो दिल्ली के जख्मों पर है मरहम

अरविंद केजरीवाल को जश्न मनाने का बड़ा मौका मिला है। देशभर में पांच सीटों पर हुए उपचुनाव में दो सीटों के नतीजे आम आदमी पार्टी के पक्ष में आए हैं। एक सीट पंजाब की है, जबकि एक सीट गुजरात की है। हालांकि, यह सीट पहले भी आप के पास थी, लेकिन गुजरात में भाजपा के गढ़ में आप का अपनी सीट बचा पाना किसी से कम नहीं है। यानी आम आदमी पार्टी ने अपनी दोनों सीटें बचा ली हैं। और जिन परिस्थितियों में ऐसा किया गया है, वह ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अरविंद केजरीवाल को सबसे बड़ा दर्द दिया। अरविंद केजरीवाल के जेल से छूटने के बाद हरियाणा चुनाव में जीत शून्य रही, भाजपा ने लगातार दस साल से सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी को दिल्ली से भी खदेड़ दिया।
गुजरात के लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर विसावदर उपचुनाव में अरविंद केजरीवाल को जीत की सख्त जरूरत थी। लेकिन यह जीत हासिल करना आसान नहीं था। अरविंद केजरीवाल ने लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट जीतने के लिए अपनी पूरी टीम और पूरी ताकत झोंक दी - और तब कहीं जाकर यह उपलब्धि हासिल हुई है। आम आदमी पार्टी के लिए लुधियाना पश्चिम का चुनाव विसावदर से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण था- क्योंकि लुधियाना पश्चिम की जीत अरविंद केजरीवाल के राज्यसभा यानी राष्ट्रीय राजनीति में आगे बढ़ने का रास्ता तय करने वाली थी।
केजरीवाल के राज्यसभा जाने का रास्ता साफ
अरविंद केजरीवाल आज बहुत खुश होंगे। खुशी का मौका यूं ही नहीं आया है। और यह दोहरी खुशी भी कड़ी मेहनत के बाद मिलती है। मेहनत करो या मरो वाली। आर-पार की लड़ाई लड़ने जैसी। दरअसल, जब ऊपर वाला देता है तो छप्पर फाड़ देता है और जब लेता है तो निचोड़ भी लेता है। यह सब अरविंद केजरीवाल से बेहतर कौन जान सकता है। और, वह भी करीब तीन महीने की दूरी पर। दिल्ली चुनाव में हार मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने खुद को संभाल लिया था। दिल्ली में तत्काल प्रभाव से पंजाब से दिल्ली आना-जाना जारी रहा, लेकिन सार्वजनिक रूप से बहुत कम। सार्वजनिक जीवन में रहने वाले किसी व्यक्ति के लिए ऐसा कम ही देखने को मिलता है।
दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी पूरी टीम को दिल्ली बुलाया। बैठक हुई और भगवंत मान पंजाब मॉडल स्थापित करने की बात कहकर वापस लौट आए। कुछ दिन बाद अरविंद केजरीवाल विपश्यना के लिए दिल्ली से चले गए। यह उन दिनों की बात है जब पंजाब के किसान आम आदमी पार्टी से नाराज थे। विपश्यना से लौटने के बाद अरविंद केजरीवाल ने लुधियाना पश्चिम उपचुनाव पर ध्यान केंद्रित किया। सबसे पहले उम्मीदवार की घोषणा की और प्रचार शुरू किया। ध्यान रहे, तब चुनाव आयोग ने तारीख भी घोषित नहीं की थी। तब माना जा रहा था कि बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही उपचुनाव भी हो सकते हैं - लेकिन धुन के पक्के केजरीवाल ने इसकी कोई परवाह नहीं की।
चुनौती भी आसान नहीं थी। कांग्रेस ने एक ऐसे नेता को मैदान में उतारा था, जिस पर आरोप है कि उसे भगवंत मान पुलिस ने फर्जी मामले में जेल में बंद कर दिया है। ठीक वैसे ही जैसे अरविंद केजरीवाल दिल्ली शराब नीति मामले को लेकर भाजपा पर आरोप लगाते रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी भी जमानत के समय हाईकोर्ट की टिप्पणियों का हवाला देकर प्रचार कर रहे थे। लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में संजीव अरोड़ा ने कांग्रेस प्रत्याशी भारत भूषण आशु को 10637 वोटों से हराया है। लुधियाना चुनाव के लिए अरविंद केजरीवाल ने अपनी सबसे भरोसेमंद टीम को आगे कर दिया और खुद कमान संभाली। बिभव कुमार को पहले ही भेजा जा चुका था, सौरभ भारद्वाज और आतिशी दिल्ली से चले गए और मनीष सिसोदिया को भी पंजाब बुला लिया गया।
लुधियाना से संजीव अरोड़ा की जीत पर अरविंद केजरीवाल ने बड़े वादे किए हैं। सबसे पहले संजीव अरोड़ा को पंजाब सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से कहा था कि अगर संजीव अरोड़ा नहीं जीते तो लुधियाना पश्चिम क्षेत्र में विकास कार्य रुक जाएंगे - अब वादा पूरा करना होगा। लुधियाना पश्चिम से जीत का मतलब यह भी होगा कि संजीव अरोड़ा अब राज्यसभा से इस्तीफा दे देंगे और उनकी जगह अरविंद केजरीवाल पंजाब से संसद जाएंगे। हालांकि, जब उनसे राज्यसभा जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति इस बारे में फैसला करेगी, लेकिन वह राज्यसभा नहीं जा रहे हैं। दिल्ली की हार के बाद अब पंजाब में सिर्फ आम आदमी पार्टी की सरकार बची है, इसलिए अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय राजनीति में पैर जमाने का मौका चाहिए था, लुधियाना की जनता ने दे दिया है। वैसे भी पंजाब की राजनीतिक जमीन आम आदमी पार्टी के लिए शुरू से ही उपजाऊ रही है। 2014 के आम चुनाव में जब अरविंद केजरीवाल वाराणसी में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से हार गए थे, तब भी पंजाब ने भगवंत मान समेत आम आदमी पार्टी के चार नेताओं को लोकसभा भेजा था।
गुजरात में केजरीवाल के 'हीरो' की जीत
गुजरात की विसावदर विधानसभा सीट पर AAP की जीत उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने भाजपा के किरीट पटेल को 17581 मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी के विधायक भूपेंद्र भयानी के इस्तीफा देकर गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के बाद विसावदर सीट दिसंबर 2023 में खाली हो गई थी - ऐसे में अरविंद केजरीवाल लुधियाना के साथ-साथ विसावदर सीट जीतने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। गोपाल इटालिया के नामांकन में पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया था कि आम आदमी पार्टी ने अपने हीरो को मैदान में उतारा है। और, सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया था कि अगर भाजपा गोपाल इटालिया को खरीदती है तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। खास बात यह रही कि अरविंद केजरीवाल खुद विसावदर मोर्चे पर डटे रहे और बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को तैनात कर रखा था। वह सीधे तौर पर भाजपा को चुनौती दे रहे थे और बार-बार यह याद दिलाने की कोशिश कर रहे थे कि गुजरात में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा विसावदर सीट जीतने में विफल रही है। भाजपा 2007 से इस सीट को जीतने की कोशिश कर रही है, लेकिन फिर से विफल रही।