‘कुलदीप सेंगर को फांसी तक लेकर जाऊंगी, तभी मिलेगा न्याय’, उन्नाव रेप केस की पीड़िता ने बयां किया दर्द
उन्नाव नाबालिग रेप केस में दोषी कुलदीप सेंगर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तरप्रदेश के उन्नाव में 2017 में हुए नाबालिग के साथ रेप मामले में दोषी कुलदीप सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली जमानत के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता ने TV9 भारतवर्ष के सवाल पर कहा कि मैं इस न्याय से बहुत खुश हूं. सुप्रीम कोर्ट ने न्याय दिया है. अभी मैं उसको फांसी तक लेकर जाऊंगी. तभी हमें न्याय मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने CBI की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुननें के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि हम हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के पक्ष में है. हम अमूनन जमानत रद्द नहीं करते पर यहां केस अलग है. यहां यह शख्स एक दूसरे केस में भी अभी जेल में बंद है. कोर्ट ने माना कि दिल्ली हाईकोर्ट ने इस तथ्य को नजरंदाज किया कि सेंगर को POCSO के अलावा IPC 376(2)(I) के तहत दोषी ठहराया गया था. जबकि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में इसका जिक्र नहीं किया. इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत के फैसले को चुनौती देने वाली CBI की याचिका पर कुलदीप सेंगर को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
अभी आतंरिक राहत, लड़ाई बाकी है
कोर्ट के फैसले पर TV9 भारतवर्ष से बात करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने कहा की हम इसे बहुत बड़ी राहत मानते हैं. मुझे लगता है कि सत्यमेव जयते, यह होना ही था. आज जो हुआ है इसको लेकर के हम बहुत आभारी हैं. वहीं पीड़िता के वकील हेमंत कुमार ने कहा कि हमारे लिए आंतरिक राहत मिली है, दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लग गई है और सुप्रीम कोर्ट के क्लियर गाइडेंस हैं. अभी किसी अन्य मामले में भी उस अपराधी को जेल से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा. पीड़िता की सुरक्षा के खतरे को देखते हुए और जो भी उस परिवार पर गुजरा है और आगे गुजर सकता है. उस आशंका को देखते हुए उस ऑर्डर पर रोक लगाई गई है, इससे पीड़ित परिवार अभी संतुष्ट है. आगे भी न्याय की उम्मीद है.
पीड़िता के लिए ये सिर्फ हार-जीत की बात नहीं
वकील हेमंत कुमार ने आगे कहा कि इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देखा और CBI के वकील की भी दलील थी कि कैसे पीड़िता के पिता को खत्म कर दिया गया. गंभीरता और देश की संवेदना को देखते हुए, पूरे देश में आंदोलन हो रहे हैं. ऐसे में आरोपी को बेल देना सही नहीं है. वकील ने आगे कहा कि पीड़िता अभी इस फैसले के बाद बिल्कुल शुन्य है. यह हार जीत की बात नहीं है. उसके लिए सरवाइव करने और जिंदा रहने की बात है.
उन्होंने कहा कि इस परिवार को मैंने बहुत करीब से देखा है उनकी निचली अदालत में पैरवी भी कर रहा हूं. ये हमारे, आपके लिए हार, जीत की बात हो सकती है, लेकिन पीड़िता के लिए यह जीने मरने का सवाल है, उसके लिए केवल सरवाइव करना जिंदा रहना और अपने परिवार की सुरक्षा रखना बड़ी बात है. चेहरे पर उसके ना खुशी है, ना कोई दुख है. एक ऐसा इंसान जिसको लग रहा है कि वह केवल जिंदा है. उसके अंदर जान नहीं है. फिलहाल उसकी ऐसी हालत है.
रेप पीड़िता बच्ची को कभी भी नहीं दिला पाएंगे सही न्याय
वकील महमूद पराचा ने कहा कि इस फैसले को एक मरते हुए व्यक्ति को अगर ऑक्सीजन की थोड़ी सी मदद दे दी जाए. कुछ लोग इसको विक्ट्री बताएंगे तो मैं बहुत ही विनम्रता से कहना चाहता हूं. इस बच्ची की विक्ट्री और इस बच्ची को न्याय तो कभी मिल ही नहीं सकता. हम पूरा देश भी मिलकर इस बच्ची को न्याय नहीं दिला सकते हैं. इस बच्ची के पिता को वापस नहीं ला सकते. इसके जो दूसरे परिवार वाले कुलदीप सिंह सेंगर और उसकी गैंग ने मरवा दिए वह उन्हें वापस नहीं लाकर दे सकते. इस बच्ची के पूरे शरीर में चोटें ही चोंटे हैं. उसका शरीर हम वैसा वापस नहीं कर सकते.
पारचा ने आगे कहा कि इस बच्ची का जो गया तब वह छोटी सी बच्ची थी. उसको हम कभी वापस नहीं लाकर दे सकते आज भी हर जगह से अटैक हो रहे हैं. हम उसका बचपन और उसकी नॉर्मल जिंदगी वापस ला सकते हैं? क्या हम कुछ ऐसा कर सकते हैं जिससे हम कह सकते हैं कि एक समाज और देश के नाते हमें माफ कर दे. हम आपको नहीं बचा पाए, लेकिन पुराना समय तो वापस नहीं ला सकते जो हम कर सकते हैं उसको लेकर के पूरी ताकत लगा रहे हैं.

