फिंगरप्रिंट पैटर्निग के लिए जिम्मेदार जीन्स को समझने के लिए टीम ने विश्व के 23000 से अधिक व्यक्तियों के डीएनए का अध्ययन किया और फिंगरप्रिंट पैटर्निग में योगदान देने वाले 43 एसनपी (म्यूटेशन) की पहचान की। इस अध्ययन की सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने पाया कि इनमें से ज्यादातर म्यूटेशन त्वचा के विकास से संबंधित जीन के बजाय अंग विकास से जुड़े जीन्स हैं। इन जीन्स में मुख्य रूप से एक ईवीआई 1 नामक जीन पाया गया, जो भ्रूण अंग विकास में अपनी भूमिका के लिए जाना जाता है। जब टीम ने ईवीआई 1 जीन को चूहों में परीक्षण किया, तो उन्होंने पाया कि ईवीआई1 की कम एक्सप्रेशन वाले जेनेटिक्ली मॉडिफायड चूहों ने सामान्य चूहों की तुलना में अपने डिजिट्स पर असामान्य पैटर्न विकसित किए।इसके अलावा, अध्ययन से यह भी पता चला है कि हाथ और फिंगरप्रिंट पैटर्न का अनुपात आपस में संबंधित है। उदाहरण के लिए, अपने दोनों छोटी उंगलियों पर जिन व्यक्तियों में व्होर्ल के आकार पाए जाते हैं, उनकी छोटी उंगलियां लंबी होती हैं।
डॉ. चंदना ने बताया, चूहों में कोई फिंगरप्रिंट नहीं होते हैं, लेकिन लकीरें (रिजेज) पाई जाती हैं, जिनकी गणना करना बहुत ही दिलचस्प था और उसके लिए हमने एक नई विधि ईजाद की। उसके बाद हमने जेनेटिक्ली मॉडिफायड और सामान्य चूहों के बीच रिडजस पैटर्न की तुलना की और मनुष्यों के समान ही परिणाम पाया। कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर्स की युवा वैज्ञानिक डॉ. चंदना ने विज्ञान के सबसे प्रतिष्ठित शोध पत्रिकाओं में से एक सेल में उच्च गुणवत्ता का शोध कार्य प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा कि ये अध्ययन डर्मेटोज्लिफिक्स एवं जन स्वास्थ्य में संबंधित जन्मजात विकारों की पहचान में नई दिशा दिखा सकता है। कुलपति ने कहा कि मानव जेनेटिक्स शोध के क्षेत्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय पहले से ही काफी अच्छा कार्य कर रहा है और उन्हें विश्वास है कि आने वाले वर्षों में बीएचयू के शोधकर्ता कई और महत्वपूर्ण योगदान देकर विश्वविद्यालय को गौरवान्वित करेंगे।
सीजीडी के समन्वयक प्रो परिमल दास ने कहा, नई तकनीकी जैसे, जीन अध्ययन, प्रोटीन नेट्वर्क, पॉप्युलेशन जेनेटिक्स का इस्तेमाल कोंप्लेक्स ट्रेट के अध्ययन में बहुत लाभकारी है और इस समय की मांग भी है। विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो.अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा, अंग विकास के साथ फिंगरप्रिंट पैटर्न का जुड़ाव विकासात्मक जीव विज्ञान का एक नया आयाम है, जिसके महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और सामाजिक प्रभाव हो सकते हैं। इस अध्ययन में डॉ. चंदना की भागीदारी उनके ह्यूमन फेनोटीपीस के रहस्यों को जानने के लिए उनकी महत्वपूर्ण जिज्ञासा को दर्शाती है।
--आईएएनएस
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