एक साथ 144 मिसाइलों से हमला... भारत के इस ब्रह्मास्त्र के आगे राफेल, F-35 और Su-30MKI भी फीके, दुश्मनों के लिए बना खौफ का दूसरा नाम
वैश्विक स्तर पर कई हिस्सों में सशस्त्र संघर्ष चल रहा है। इस समय एक ओर दुनिया दो खेमों में बंटी हुई नज़र आ रही है, तो दूसरी ओर अत्याधुनिक हथियार हासिल करने की होड़ मची हुई है। रूस-यूक्रेन, इज़राइल-हमास और अब थाईलैंड-कंबोडिया के बीच सैन्य संघर्ष ने हर छोटे-बड़े देश को अपनी रक्षा प्रणाली मज़बूत करने पर मजबूर कर दिया है। पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच भी तनातनी देखने को मिली। भारत की सीमा एक तरफ़ पाकिस्तान से लगती है तो दूसरी तरफ़ चीन से। इन दोनों देशों के भारत के प्रति व्यवहार और रवैये से पूरी दुनिया वाकिफ़ है। भारत भी इसे बखूबी समझता है। यही वजह है कि भारत लगातार सेना के तीनों अंगों (भारतीय नौसेना, थल सेना और वायु सेना) को उन्नत बनाने में लगा हुआ है। इसी के तहत, भारतीय नौसेना प्रोजेक्ट-18 के तहत अगली पीढ़ी के विध्वंसक पोत को विकसित करने में जुटी है। यह विध्वंसक पोत ब्रह्मोस क्रूज़ मिसाइल समेत 144 मिसाइलें ले जाने में सक्षम है।
भारतीय नौसेना भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक नया अध्याय रचने जा रही है। प्रोजेक्ट 18 के तहत भारत अब तक की अपनी सबसे बड़ी और उन्नत विध्वंसक श्रृंखला विकसित कर रहा है, जो न केवल आकार में मौजूदा विशाखापत्तनम-श्रेणी से बड़ी होगी, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी कई गुना अधिक सक्षम होगी। लगभग 13,000 टन वजनी यह युद्धपोत इतना विशाल होगा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार इसे क्रूजर श्रेणी में भी रखा जा सकता है। आकार और मारक क्षमता के लिहाज से यह भारतीय नौसेना का सबसे उन्नत और शक्तिशाली युद्धपोत होगा।
अगली पीढ़ी का विध्वंसक: 144 मिसाइल प्रक्षेपण कक्षों से लैस
भारतीय नौसेना के भविष्य के सबसे महत्वाकांक्षी युद्धपोत, प्रोजेक्ट 18 के तहत बनाए जा रहे इस विध्वंसक की हथियार प्रणाली इसे अब तक का सबसे शक्तिशाली भारतीय युद्धपोत बना रही है। यह जहाज कुल 144 वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (वीएलएस) कक्षों से लैस होगा, जो इसे किसी भी खतरे से निपटने की बहुआयामी क्षमता प्रदान करता है।
इस विध्वंसक में हथियारों की तैनाती इस प्रकार होगी:
जहाज के पिछले हिस्से में 32 वीएलएस सेल होंगे, जिनमें पीजीएलआरएसएएम मिसाइलें तैनात होंगी। यह 250 किलोमीटर तक की दूरी से विमानों और बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बनाने में सक्षम होगा।
48 वीएलएस सेल लंबी दूरी की ब्रह्मोस विस्तारित रेंज क्रूज मिसाइल और स्वदेशी तकनीक से विकसित क्रूज मिसाइलों से सुसज्जित होंगे। ये जल और थल लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम होंगे।
64 वीएलएस सेल बहुत कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए होंगे, जो जहाज की अंतिम रक्षा पंक्ति के रूप में कार्य करेंगी।
इसके अलावा, जहाज में 8 स्लैंट लॉन्चर भी शामिल हैं, जिनका उपयोग संभवतः हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 मिसाइलों के लिए किया जाएगा। इस विध्वंसक की तैनाती से भारत की समुद्री शक्ति में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
अत्याधुनिक रडार और सेंसर प्रणाली
प्रोजेक्ट 18 का सबसे खास पहलू इसकी उन्नत रडार और सेंसर प्रणाली है, जिसे डीआरडीओ और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है। इसमें चार बड़े एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (एईएसए) रडार होंगे, जिनमें एस-बैंड प्राइमरी रडार, वॉल्यूम सर्च रडार और मल्टी-सेंसर मास्ट शामिल हैं। यह प्रणाली 360-डिग्री निगरानी क्षमता रखती है और 500 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्यों पर नज़र रख सकती है। इसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के जटिल वातावरण में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
प्रोजेक्ट 18 पूरी तरह से 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित है। इसका लक्ष्य लगभग 75% स्वदेशी तकनीक और उपकरणों का उपयोग करना है। इस युद्धपोत में एकीकृत इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन (आईईपी) प्रणाली, स्टील्थ सुविधाएँ, दो बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों की तैनाती और रेल-रहित हेलीकॉप्टर ट्रैवर्सिंग प्रणाली भी शामिल होगी। इसके अलावा, यह जहाज स्वायत्त पानी के नीचे के ड्रोन तैनात करके पनडुब्बी रोधी और बारूदी सुरंग खोज अभियान चलाने में भी सक्षम होगा।
निर्माण और भविष्य की योजनाएँ
दिसंबर 2023 तक की योजना के अनुसार, परियोजना की ठोस रूपरेखा अगले पाँच वर्षों में पूरी हो जाएगी और इसके बाद अगले दस वर्षों के भीतर सभी जहाज नौसेना को सौंप दिए जाने की उम्मीद है। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) जैसे प्रमुख भारतीय शिपयार्ड इसके निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाएँगे। प्रोजेक्ट 18 के तहत विकसित विध्वंसक भारतीय नौसेना की दीर्घकालिक समुद्री रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होंगे। भारत का लक्ष्य वर्ष 2035 तक नौसेना में 170 से 175 युद्धपोत शामिल करना है। ये नए विध्वंसक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत की रणनीतिक स्थिति को मज़बूत करेंगे।
समुद्र में शक्ति बढ़ाने की एक परियोजना
प्रोजेक्ट 18 सिर्फ़ एक युद्धपोत परियोजना नहीं है, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति, तकनीकी आत्मनिर्भरता और रणनीतिक संकल्प का प्रतीक है। यह परियोजना भारत को दुनिया भर में सबसे उन्नत और घातक सतही युद्धपोत विकसित करने वाले देशों की श्रेणी में ला खड़ा करेगी।

