आखिर क्यों 'मिशन पाक बेनकाब' से वापस लौटे श्रीकांत शिंदे ने राहुल गांधी को सुनाई खरी-खोटी? बोलें- पॉलिटिकल मैच्युरिटी नहीं

हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक सख्त और निर्णायक कदम उठाया है। इस कार्रवाई ने पूरी दुनिया में भारत की दृढ़ता और गंभीरता की गूंज सुनाई है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान में मौजूद नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया, जिसमें सौ से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबर है। इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत ने ‘मिशन पाक बेनकाब’ के तहत सर्वदलीय सांसदों का प्रतिनिधिमंडल विदेशों के दौरे पर भेजा, जहां उन्होंने भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का विस्तार से प्रचार किया।
यह प्रतिनिधिमंडल यूएई, लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन की यात्रा पर गया था, जो आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से अहम देशों की सूची में शामिल हैं। अब यह दल वापस भारत लौट चुका है। NDTV के साथ एक खास बातचीत में इस प्रतिनिधिमंडल के नेता और शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने इस अभियान और विदेश नीति पर विस्तार से बात की।
श्रीकांत शिंदे: ऑपरेशन सिंदूर और विदेश यात्रा का मकसद
श्रीकांत शिंदे ने बताया कि यह यात्रा आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को समझाने और वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। उन्होंने बताया कि यूएई और सिएरा लियोन जैसे देश जो इस वक्त ओआईसी (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन) के सदस्य हैं, और लाइबेरिया तथा कांगो जैसे देश जो अगले साल सदस्य बनने वाले हैं, भारत के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं। इन देशों की आवाज़ यूएन सिक्यूरिटी काउंसिल (UNSC) में अहम मानी जाती है। उन्होंने कहा, “हमने उन्हें साफ तौर पर बताया कि पाकिस्तान न केवल भारत के खिलाफ बल्कि कई अन्य देशों में भी आतंकवाद फैला रहा है। इस आतंकवाद के लिए पाकिस्तान पनाहगाह और समर्थन का काम करता है। हमारा संदेश ‘जीरो टॉलरेंस’ है, और हम चाहते हैं कि पूरी दुनिया इस मुद्दे पर साथ आए।”
विदेश दौरे के दौरान मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया
श्रीकांत शिंदे ने साझा किया कि यूएई और सिएरा लियोन में भारत की स्थिति को अच्छी तरह से समझा गया। सिएरा लियोन की संसद में आतंकवाद के खिलाफ एक मौन व्रत भी रखा गया। उन्होंने बताया कि ये दोनों देश OIC के सदस्य हैं, लेकिन भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इन देशों के साथ मजबूत और भरोसेमंद रिश्ते बनाए हैं। शिंदे ने कहा, “हमने पूरी ताकत से अपनी बात रखी और भारत की कार्रवाई को समर्थन मिला। सभी देशों ने संवेदना व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को सही ठहराया।”
राहुल गांधी पर शिंदे का हमला: “केवल राजनीति के लिए बयानबाजी”
बातचीत के दौरान श्रीकांत शिंदे ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील और खतरनाक वक्त में सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए, लेकिन राहुल गांधी केवल राजनीतिक फायदेमंद बयानबाजी कर रहे हैं। शिंदे ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी के बयान पाकिस्तान को भी राहत देते हैं और वे किसकी तरफ से बोल रहे हैं, यह स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा, “ऐसे वक्त में राजनीतिक मैच्योरिटी होनी चाहिए, लेकिन उनकी पार्टी के ही लोग भारत के डेलीगेशन का नेतृत्व कर रहे हैं। इन बयानबाजी से पाकिस्तान भी सन्दर्भ ले रहा है।”
भारत की वैश्विक रणनीति और भविष्य की योजनाएं
शिंदे ने बताया कि विदेश मंत्रालय ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग के लिए ब्रिक्स देशों और अफ्रीकी देशों के साथ कूटनीतिक गतिविधियों को बढ़ाया है। “जब भी हम आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाएंगे, ये देश हमारे साथ खड़े रहेंगे। अब सात अफ्रीकी देश भी हमारे साथ हैं।” उन्होंने आगे कहा कि वे जल्द ही विदेश मंत्री से मुलाकात कर अपनी विदेश यात्रा के अनुभव साझा करेंगे और बताएंगे कि इन देशों की भारत से क्या अपेक्षाएं हैं। उनका मानना है कि इस ‘आउटरीच’ के जरिए पाकिस्तान का चेहरा पूरी दुनिया के सामने आया है।
निष्कर्ष: भारत का आतंकवाद के खिलाफ संकल्प और वैश्विक समर्थन
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने न केवल कठोर सैन्य कार्रवाई की, बल्कि कूटनीति के जरिए भी आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकता बनाई है। ऑपरेशन सिंदूर और मिशन पाक बेनकाब के जरिए भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंकवाद के मामले में वह कोई समझौता नहीं करेगा। शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे की विदेश यात्रा और वहां मिली प्रतिक्रिया इस बात का प्रमाण है कि भारत का जीरो टॉलरेंस नीति विश्व स्तर पर समर्थन पा रही है। इस पूरी प्रक्रिया में राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर देश की सुरक्षा और वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता देना जरूरी है। यही भारत की मजबूती और आतंकवाद से लड़ाई में सफलता की कुंजी होगी।