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देश के दुश्मनों पर करारा वार! 15 सालों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर रह गई सिर्फ 18, जानिए सरकार ने ऐसा क्या किया ?

देश के दुश्मनों पर करारा वार! 15 सालों में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर रह गई सिर्फ 18, जानिए सरकार ने ऐसा क्या किया ?

भारत पिछले कई सालों से नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। हालांकि, अब इसके नतीजे सामने आने लगे हैं। पिछले 15 सालों में भारत में सरकार ने नक्सलवाद की जड़ें कमजोर की हैं। 15 सालों में नक्सलवाद से प्रभावित जिले 126 से घटकर सिर्फ 18 रह गए हैं। मंगलवार को लोकसभा में नक्सलवाद में आई गिरावट की जानकारी दी गई। बताया गया कि नक्सली हिंसा से जुड़ी घटनाओं और इसके कारण नागरिकों और सुरक्षा बलों की मौत में 2010 की तुलना में 2024 में 81 फीसदी और 85 फीसदी की गिरावट देखी गई है। भारत ने नक्सलवाद का समाधान किया है (यह समाधान क्या है इसकी जानकारी आगे दी गई है)। नक्सलवाद में कमी

नक्सलवाद पर एक लिखित उत्तर में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की संख्या में भी भारी कमी आई है, जो 2013 में 126 से घटकर अप्रैल 2025 में 18 रह गई। मंत्री ने यह भी बताया कि नक्सलवाद की समस्या से निपटने के लिए 2015 में राष्ट्रीय नक्सलवाद विरोधी नीति एवं कार्य योजना को मंजूरी दी गई थी। उन्होंने बताया कि इसमें सुरक्षा उपायों, विकासात्मक हस्तक्षेपों और स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने से संबंधित रणनीति तैयार की गई है। मंत्री ने कहा कि नक्सलियों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु राज्यों की अपनी "आत्मसमर्पण सह पुनर्वास" नीतियाँ भी हैं।

झारखंड में नक्सलवाद की स्थिति क्या है?

झारखंड से जुड़े एक सवाल पर उन्होंने कहा कि राज्य में नक्सलवाद में काफी सुधार हुआ है। झारखंड में वामपंथी उग्रवाद से जुड़ी हिंसक घटनाओं की संख्या 2009 में 742 से 92 प्रतिशत घटकर 2024 में 69 रह गई है। मंत्री ने बताया कि 1 जनवरी 2024 से 15 जुलाई 2025 तक झारखंड में नक्सलवाद से जुड़ी 103 हिंसक घटनाएँ दर्ज की गईं, जिनमें 25 नक्सली मारे गए, 276 गिरफ्तार हुए और 32 ने आत्मसमर्पण किया। उन्होंने कहा कि झारखंड में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 2013 में 21 से घटकर 2025 में मात्र 2 रह जाएगी।

नक्सलवाद से लड़ने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए

जहाँ हम 15 वर्षों में नक्सलवाद में गिरावट दर्ज करने की सफलता की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकार के उन कदमों पर भी गौर करना ज़रूरी है, जिनकी वजह से ये नतीजे देखने को मिले हैं। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद पर कड़ा रुख अपनाया है। पिछले कुछ महीनों में झारखंड में कई नक्सली ऑपरेशनों में मारे गए हैं। इसी बीच, पिछले कुछ महीनों में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि 31 मार्च, 2026 तक भारत को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा।

पहला कदम-
नक्सलवाद से लड़ने के लिए 2015 में राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना शुरू की गई थी। भारत सरकार ने 2015 में एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना तैयार की, ताकि नक्सलवाद पर नियंत्रण पाया जा सके। इसमें सुरक्षा, विकास, अधिकार और स्थानीय समुदायों का कल्याण शामिल है। नीति का आधार बहुआयामी रणनीति है - यानी सुरक्षा उपाय, विकास परियोजनाएँ और स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा, ये सभी इस योजना के अंतर्गत शामिल हैं।

दूसरा कदम-
सरकार का दूसरा कदम सुरक्षा ढाँचे में सुधार और उसे और मज़बूत करना था। सीआरपीएफ की कोबरा इकाइयों जैसे विशेष बलों को तैनात किया गया। इसके साथ ही, राज्य पुलिस को भी एमपीएफ योजना (राज्य पुलिस बलों का आधुनिकीकरण) के तहत मज़बूत किया गया और आधुनिक चीज़ों से लैस किया गया। इस योजना के तहत पुलिस बल के लिए बेहतर हथियार, वाहन, संचार और प्रशिक्षण हेतु वित्त पोषण किया गया।

विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस): दूरस्थ क्षेत्रों में पुलिस थाने, हेलीपैड और सुरक्षित शिविर बनाए गए।

खुफिया जानकारी साझा करना: समन्वय के लिए बहु-एजेंसी केंद्र और कमांड का निर्माण।

त्वरित कार्रवाई अभियान चलाना।

तीसरा चरण
जहाँ एक ओर सरकार ने सुरक्षा बलों को मज़बूत किया है, वहीं दूसरी ओर सरकार ने नक्सलियों की श्रृंखला को तोड़ने के लिए ऐसे कदम उठाए हैं ताकि राज्य के लोग उनके जाल में न फँसें। राज्यों में विकास परियोजनाएँ शुरू की गई हैं ताकि युवा विकास के पथ पर चलें, नौकरी करें और ऐसी गतिविधियों में न फँसें।

विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना: सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में आजीविका, शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण और स्वास्थ्य के लिए वित्त पोषण। इससे लोगों को काफी मदद मिलती है।

सड़क योजना-I और II (आरआरपी): नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संपर्क के लिए सड़कें और पुल बनाए जाते हैं।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम: यह योजना गरीब जिलों में केंद्रित विकास के लिए शुरू की गई है।

बिजली और डिजिटल परियोजनाएँ: सुदूर आदिवासी क्षेत्रों में बिजली, दूरसंचार टावरों और इंटरनेट का विस्तार।

कौशल प्रशिक्षण और रोज़गार: रोशनी (प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं के लिए कौशल प्रशिक्षण) जैसे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

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