SC ने गुजरात सरकार से पूछा, तीस्ता, उनके पति को जेल वापस क्यों भेजना चाहते हैं ?
शीर्ष अदालत सीतलवाड़, उनके पति, गुजरात पुलिस और सीबीआई द्वारा दंपति के खिलाफ दर्ज तीन प्राथमिकियों से उत्पन्न याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रही थी। सीतलवाड़ और उनके पति का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अपर्णा भट ने कहा कि एक कार्यवाही में जहां सीबीआई अपील में आई है, अग्रिम जमानत दी गई थी जिसके बाद आरोप पत्र दायर किया गया था और उसके बाद उन्हें नियमित जमानत दी गई थी। इस पर पीठ ने कहा, अग्रिम जमानत दिए हुए सात साल बीत चुके हैं। आप उसे वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं..?
सिब्बल ने कहा कि अग्रिम जमानत के खिलाफ जांच एजेंसी की अपील टिक नहीं पाती, क्योंकि नियमित जमानत पहले ही दी जा चुकी है। नायर ने तर्क दिया कि यह एक मामले में हुआ था, लेकिन उसके खिलाफ एक से अधिक मामले हैं, और कहा कि इस मामले को दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा एक बड़ी पीठ को भेजा गया था और इस अदालत द्वारा तय किए जाने वाले प्रश्नों को तैयार किया गया था। खंडपीठ ने मामले की आगे की सुनवाई चार सप्ताह के लिए निर्धारित की है। शीर्ष अदालत ने मार्च 2015 में, 2002 के दंगों में तबाह हुई अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में एक संग्रहालय के लिए धन के कथित गबन के संबंध में सीतलवाड़ और उनके पति की अग्रिम जमानत याचिका को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया था और अपने अंतरिम आदेश की अवधि बढ़ा दी थी।
--आईएएनएस
एसजीके