मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा, चूंकि महात्मा गांधी नरेगा के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के पास है, इसलिए मंत्रालय में प्राप्त सभी शिकायतों को संबंधित राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को जांच सहित उचित कार्रवाई करने के लिए कानून के अनुसार भेजा जाता है। सरकार की ओर से बताया गया, सोशल ऑडिट के लिए ऑडिटिंग मानक जारी किए गए हैं और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को स्वतंत्र सोशल ऑडिट यूनिट्स (एसएयू) स्थापित करने, स्कीम रूल्स, 2011 के ऑडिट के अनुसार सोशल ऑडिट करने और सोशल ऑडिट करने के लिए ग्राम संसाधन व्यक्तियों को प्रशिक्षण देने की सलाह दी गई है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे सामाजिक लेखा परीक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एसएयू के तहत पर्याप्त जनशक्ति (मैनपावर) की भर्ती करें।
मंत्रालय की ओर से यह भी बताया गया कि पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं, जिसमें परिसंपत्तियों की जियो-टैगिंग, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड प्रबंधन प्रणाली (एनईएफएमएस), आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस), रोजगार के लिए ग्रामीण दरों का उपयोग करके अनुमान गणना के लिए सॉफ्टवेयर (सिक्योर) और स्वतंत्र सामाजिक लेखा परीक्षा इकाइयों की स्थापना और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में लोकपाल की नियुक्ति शामिल है। इसके अलावा बताया गया कि राज्य विशिष्ट समीक्षाएं भी समय-समय पर की जाती हैं। मंत्रालय के अधिकारी और राष्ट्रीय स्तर के मॉनिटर भी महात्मा गांधी नरेगा के प्रदर्शन की निगरानी के लिए विभिन्न जिलों का दौरा करते हैं।
--आईएएनएस
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