अवैध संबंध साबित होने पर पत्नी को भरण-पोषण नहीं, हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का फैसला बरकरार रखा
भारत में हाल ही में हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैमिली लॉ मामले में फैमिली कोर्ट का फैसला बरकरार रखा है। मामला अवैध संबंधों से जुड़ा था, जिसमें पत्नी को भरण-पोषण (मेन्टेनेंस) देने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
सूत्रों के अनुसार, फैमिली कोर्ट ने पहले ही निर्णय दे दिया था कि यदि पत्नी के अवैध संबंध साबित हो जाते हैं, तो उसे पति से भरण-पोषण का अधिकार नहीं है। पति की ओर से दायर अपील पर हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के इस फैसले को सही मानते हुए उसे बरकरार रखा।
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि भरण-पोषण का अधिकार केवल उस पत्नी को दिया जा सकता है, जो कानूनी और नैतिक रूप से वैध विवाह संबंध में बनी रहे। यदि पत्नी के अवैध संबंध साबित हो जाते हैं, तो वह इस अधिकार की हकदार नहीं मानी जाएगी।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला वैवाहिक नैतिकता और कानूनी अधिकारों के बीच संतुलन स्थापित करने के दृष्टिकोण से अहम है। इस फैसले से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि विवाह संबंध में धोखाधड़ी और अवैध संबंधों के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
फैसले के बाद, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर भविष्य में ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं, तो संबंधित पक्ष को साबित किए गए तथ्यों के आधार पर भरण-पोषण या अन्य कानूनी अधिकारों की मांग करनी होगी।
इस मामले ने विवाहिक कानून में अवैध संबंधों के दुष्परिणाम और भरण-पोषण अधिकारों के सीमाओं को एक बार फिर से उजागर किया है।

