सावन के दूसरे सोमवार पर सरोना के 250 साल पुराने पंचमुखी शिव मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब
सावन मास के दूसरे सोमवार को राजधानी रायपुर के सरोना गांव स्थित प्राचीन पंचमुखी शिव मंदिर में भक्तों का आस्था भरा जनसैलाब उमड़ पड़ा। करीब 250 वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ने लगे। हर तरफ “बम-बम भोले” और “हर हर महादेव” के जयकारे गूंज रहे थे।
सुबह की पहली किरण के साथ ही मंदिर के पट खुलते ही भक्तों की लंबी कतारें लग गईं। पुरुष, महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी शिव दर्शन के लिए कतार में शांतिपूर्वक अपनी बारी का इंतजार करते नजर आए। श्रद्धालु जलाभिषेक, बेलपत्र अर्पण और पूजा-अर्चना कर भगवान शिव से सुख-शांति और समृद्धि की कामना कर रहे थे।
शिवलिंग का भव्य श्रृंगार
सावन के इस पावन अवसर पर मंदिर समिति द्वारा पंचमुखी शिवलिंग का विशेष श्रृंगार किया गया। मंत्रोच्चारण और रुद्राभिषेक के बीच भगवान शिव को चंदन, फूल-मालाओं और वस्त्रों से सजाया गया। श्रद्धालु शिवलिंग पर दूध, जल, शहद और गुलाबजल अर्पित कर पुण्य अर्जित करते रहे।
श्रद्धालुओं का मानना है कि सावन सोमवार को पंचमुखी शिव के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, यह मंदिर करीब ढाई शताब्दी पुराना है और इसका धार्मिक महत्व पूरे रायपुर और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यंत गहरा है।
जयकारों से गूंजा मंदिर परिसर
पूरे मंदिर परिसर में शिवभक्तों की आवाजें गूंज रही थीं। कहीं भजन-कीर्तन हो रहे थे तो कहीं भोलेनाथ के जयकारे लगाए जा रहे थे। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई शिव भक्ति में लीन नजर आया। मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा एवं व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। महिला-पुरुष भक्तों के लिए अलग-अलग लाइनें और जल चढ़ाने की समुचित व्यवस्था की गई थी।
विशेष आयोजन और सहयोग
मंदिर समिति द्वारा सुबह से शाम तक विशेष पूजन, भजन संध्या और प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया। श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, छांव, प्राथमिक चिकित्सा और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं। स्वयंसेवकों और स्थानीय युवाओं ने सेवा कार्य में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
निष्कर्ष
सरोना गांव का पंचमुखी शिव मंदिर सावन के प्रत्येक सोमवार को भक्तों के लिए एक बड़ा आस्था केंद्र बन जाता है। विशेषकर इस दिन की भक्ति और श्रद्धा मंदिर परिसर को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है। आस्था, परंपरा और सामाजिक सहभागिता का यह सुंदर संगम श्रद्धालुओं के हृदय में शिवभक्ति की अमिट छाप छोड़ गया।

