दूसरी शादी करना शिक्षक को पड़ा महंगा, बिना तलाक के किया निकाह, बर्खास्तगी की कार्रवाई
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर ब्लॉक से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक शिक्षक को बिना पहली पत्नी को तलाक दिए दूसरी शादी करना भारी पड़ गया। विभागीय जांच के बाद शिक्षक को दोषी मानते हुए उसे बर्खास्त कर दिया गया है। यह मामला शिक्षा विभाग और समाज दोनों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
जानकारी के अनुसार, शिक्षक वाड्रफनगर ब्लॉक के एक शासकीय विद्यालय में पदस्थ था। उस पर आरोप है कि उसने अपनी पहली पत्नी को बिना कानूनी रूप से तलाक दिए चुपचाप दूसरा निकाह कर लिया। जब इस बात की जानकारी पहली पत्नी को मिली, तो उसने संबंधित विभाग में शिकायत दर्ज करवाई। विभाग ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया और जांच के आदेश दिए।
जांच में यह स्पष्ट हो गया कि शिक्षक ने सेवा नियमों और सामाजिक मर्यादाओं का उल्लंघन करते हुए दूसरी शादी की है। शासकीय सेवक होते हुए भी उन्होंने विभाग को जानकारी नहीं दी, जो सेवा शर्तों का सीधा उल्लंघन है। इसी आधार पर शिक्षा विभाग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए शिक्षक को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया।
मामले पर विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शासकीय सेवकों के लिए दो शादियों की अनुमति तभी संभव है, जब वे पहली पत्नी की सहमति या विधिक तलाक के बाद दूसरी शादी करें। ऐसा न करना सेवा नियमों का उल्लंघन माना जाता है और इसमें कठोर कार्रवाई का प्रावधान है। शिक्षक का यह कृत्य "नैतिक अपराध" की श्रेणी में आता है।
इस घटना से शिक्षा जगत में भी खलबली मच गई है। एक ओर जहां शिक्षक समाज को दिशा देने का कार्य करता है, वहीं ऐसी घटनाएं उसकी छवि को धूमिल करती हैं। विभाग ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में ऐसे मामलों में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी और सभी शिक्षकों को सेवा शर्तों के प्रति सजग रहना होगा।
स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कुछ लोगों ने शिक्षक की कार्रवाई को अनुचित बताया, तो अधिकांश लोगों ने विभागीय फैसले को सही ठहराया है। उनका कहना है कि सरकारी पदों पर बैठे लोगों को समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए, न कि नियमों की अवहेलना।
फिलहाल, शिक्षक की बर्खास्तगी की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है और संबंधित रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। यह मामला सभी शासकीय कर्मचारियों के लिए एक चेतावनी है कि निजी जीवन के निर्णय भी यदि सेवा नियमों के विपरीत जाते हैं, तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

