नारायणपुर से ह्यूमन ट्रैफिकिंग का गंभीर मामला, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जताई कड़ी चिंता
छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल नारायणपुर जिले से मानव तस्करी (ह्यूमन ट्रैफिकिंग) और धर्मांतरण से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, तीन आदिवासी बेटियों को नर्सिंग ट्रेनिंग और नौकरी का लालच देकर राज्य से बाहर ले जाने की कोशिश की गई। यह मामला सामने आने के बाद प्रशासन और पुलिस सक्रिय हो गई है।
मामले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर ट्वीट करते हुए कहा,
“नारायणपुर की तीन आदिवासी बेटियों को नर्सिंग ट्रेनिंग और नौकरी के बहाने राज्य से बाहर ले जाने का प्रयास किया गया। यह एक गंभीर मामला है, जिसमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्मांतरण की साजिश की आशंका है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार इस प्रकार की गतिविधियों के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की नीति अपनाएगी और आदिवासी बेटियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस पूरे मामले की गहन जांच कर दोषियों को कठोरतम सजा दिलाई जाए।
सूत्रों के अनुसार, तीनों युवतियां किसी बाहरी संस्था या व्यक्ति के माध्यम से बहलाकर राज्य से बाहर ले जाई जा रही थीं, तभी समय रहते यह प्रयास पकड़ में आ गया। युवतियों को सुरक्षित वापस लाया गया है और उनके बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
इस घटना से क्षेत्र में आक्रोश भी फैल गया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी इस प्रयास की निंदा की है और मांग की है कि ऐसे मामलों पर सख्ती से रोक लगाई जाए।
यह मामला न केवल आदिवासी समाज की सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि यह राज्य में सक्रिय ऐसे संगठनों की गतिविधियों पर भी सवाल उठाता है, जो नौकरी और शिक्षा के नाम पर भोले-भाले ग्रामीणों को बहकाने की कोशिश करते हैं।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में आदिवासी क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि युवाओं को ऐसे जाल में फंसने से रोका जा सके। साथ ही, मानव तस्करी रोकने के लिए निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाएगा।
नारायणपुर की यह घटना राज्य की सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने के लिए एक चेतावनी है, जिस पर सरकार ने त्वरित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।

