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वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जयश्री साहू ने लगाए एडिशनल कलेक्टर पर अमर्यादित व्यवहार के आरोप

वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जयश्री साहू ने लगाए एडिशनल कलेक्टर पर अमर्यादित व्यवहार के आरोप

जिले में स्वास्थ्य और प्रशासनिक तंत्र के बीच टकराव की स्थिति तब बन गई जब वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जयश्री साहू ने अतिरिक्त कलेक्टर वीरेंद्र बहादुर पंचभाई पर अमर्यादित व्यवहार और अपमानजनक भाषा के प्रयोग का गंभीर आरोप लगाया। डॉ. साहू संविदा पर कार्यरत हैं और उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस घटना से वह मानसिक रूप से अत्यधिक आहत हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह विवाद एक प्रशासनिक बैठक के दौरान सामने आया, जिसमें डॉक्टर साहू ने बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित कुछ मुद्दों को उठाया था। इस दौरान, कथित रूप से अतिरिक्त कलेक्टर ने उनके साथ अभद्र भाषा और अपमानजनक लहजे में बात की, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।

डॉ. जयश्री साहू का कहना है कि वे कई वर्षों से जिले में सेवाएं दे रही हैं और हमेशा अपनी ड्यूटी को ईमानदारी से निभाया है। लेकिन इस तरह का व्यवहार न केवल उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाला है, बल्कि इससे जिले की स्वास्थ्य सेवाओं में कार्यरत अन्य कर्मियों के मनोबल पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा, “मैं एक चिकित्सक हूं, मेरी भी गरिमा है। यदि प्रशासन के उच्च अधिकारी इस तरह का बर्ताव करेंगे तो कोई कैसे सुरक्षित माहौल में कार्य करेगा?”

इस पूरे घटनाक्रम के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, डॉ. साहू ने इस संबंध में जिला कलेक्टर और स्वास्थ्य विभाग को लिखित शिकायत सौंप दी है, जिसमें निष्पक्ष जांच की मांग की गई है।

वहीं, प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो अतिरिक्त कलेक्टर वीरेंद्र बहादुर पंचभाई ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि बैठक के दौरान केवल प्रशासनिक अनुशासन बनाए रखने की बात कही गई थी, किसी भी तरह की अपमानजनक टिप्पणी का कोई इरादा नहीं था।

घटना के सामने आने के बाद नारायणपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई है। डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों में रोष का माहौल है। कुछ कर्मचारी संगठनों ने इस पूरे मामले में डॉ. साहू के समर्थन में आवाज उठाने और उनके साथ न्याय की मांग करने की बात कही है।

फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से इस विवाद पर कोई औपचारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित की जा सकती है।

यह मामला सिर्फ एक चिकित्सक से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह सरकारी कार्यालयों में कार्यरत महिला कर्मचारियों के सम्मान और कार्यस्थल पर गरिमामयी वातावरण की आवश्यकता की ओर भी इशारा करता है। यदि मामले की गंभीरता से जांच नहीं की गई, तो यह आने वाले दिनों में एक बड़ा विवाद बन सकता है।

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