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तालाब पट्टा विवाद में सरपंच और सचिव पर हमला, ग्राम पंचायत कुली में तनाव

तालाब पट्टा विवाद में सरपंच और सचिव पर हमला, ग्राम पंचायत कुली में तनाव

छत्तीसगढ़ के ग्राम पंचायत कुली में तालाब पट्टे को लेकर आयोजित बैठक के बाद एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। सरपंच बलराम प्रसाद वस्त्रकार और पंचायत सचिव पर हमले की खबर से पूरे गांव में तनाव का माहौल बन गया है। घटना के बाद घायल सचिव को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि पुलिस ने सरपंच की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है।

क्या है पूरा मामला?

जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत कुली में शनिवार को तालाब के पट्टे से संबंधित मुद्दे पर पंचायत भवन में एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक के बाद जैसे ही सरपंच बलराम प्रसाद वस्त्रकार और सचिव बाहर निकले, तभी कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। हमले में पंचायत सचिव को गंभीर चोटें आई हैं, जिन्हें तुरंत नजदीकी निजी अस्पताल में ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।

सरपंच की शिकायत पर मामला दर्ज

घटना के तुरंत बाद सरपंच बलराम प्रसाद वस्त्रकार ने पुलिस थाने पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि तालाब पट्टे को लेकर कुछ लोग लंबे समय से असंतुष्ट थे और पंचायत की प्रक्रिया से नाराज थे। इसी नाराजगी के चलते बैठक के बाद जानलेवा हमला किया गया, जो पूरी तरह से पूर्व नियोजित था।

पुलिस जांच में जुटी

स्थानीय पुलिस ने सरपंच की शिकायत के आधार पर अज्ञात हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने गांव में शांति बनाए रखने के लिए गश्त बढ़ा दी है और संदिग्धों से पूछताछ भी शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना की हर एंगल से जांच की जा रही है, जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

गांव में फैली दहशत

इस घटना के बाद ग्राम पंचायत कुली में दहशत और तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत स्तर पर इस तरह की हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे विकास कार्यों में बाधा आती है। वहीं पंचायत के अन्य सदस्यों ने प्रशासन से मांग की है कि हमलावरों को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और कड़ी सजा दी जाए।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

प्रशासन की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार जिला प्रशासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है और पुलिस को त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

यह घटना न केवल पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संवाद की कमी को भी उजागर करती है। ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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