नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने का संकल्प, जंगल में गूंजेगी शांति की थाप और ढोल-मांदर की गूंज

मंगलवार को पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी ऑडिटोरियम में बस्तर शांति समिति द्वारा आयोजित 'बीजिंग से बस्तर तक नक्सलियों का विकृत चेहरा' सेमिनार में उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर के युवा नक्सली विचारधारा को हटाकर विकास की राह पर चलेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि बस्तर का विकास बस्तर मॉडल और स्थानीय जरूरतों के अनुसार होगा।
नक्सलवाद का अंत, शांति की शुरुआत
गृहमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर का जल, जंगल, जमीन यहां के निवासियों का है। भविष्य में सुरक्षा बल के कैंप छोटे वनोपज भंडारण और विपणन केंद्र बनेंगे। नक्सलियों द्वारा निर्दोष लोगों और जवानों की हत्या का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी विचारधारा का भारत में कोई स्थान नहीं है। नक्सली हिंसा से प्रभावित लोग अब दिल्ली, जंतर-मंतर और जेएनयू में अपने विचार रख रहे हैं। वे नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं।
केन्द्र व राज्य सरकार का संकल्प
वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि चार दशक से नक्सलवाद से पीड़ित बस्तर अब जाग उठा है। केन्द्र व राज्य सरकार मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि बस्तर में शांति व खुशहाली लौटेगी तथा ढोल की थाप फिर गूंजेगी।
सुरक्षा व विकास में बाधा
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने कहा कि 1980 के दशक से नक्सली गतिविधियां क्षेत्र के विकास में बाधा बन रही हैं। अब मां दंतेश्वरी के आशीर्वाद व सुरक्षा बलों के प्रयासों से शांति की उम्मीद है। संगोष्ठी में बस्तर सांसद महेश कश्यप, फिल्म निर्देशक सुदीप्तो सेन व बस्तर शांति समिति के सदस्यों ने भी नक्सलवाद के दुष्परिणामों पर अपने विचार व्यक्त किए।
तियानमेन चौक नरसंहार का जिक्र
कार्यक्रम में 1989 के तियानमेन चौक नरसंहार पर केन्द्रित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म दिखाई गई। संगोष्ठी में कमिश्नर डोमन सिंह, एसपी शलभ सिन्हा, जिला प्रशासन, सामाजिक नेता, पत्रकार और युवा शामिल हुए।
तियानमेन नरसंहार और नक्सली विचारधारा
नक्सलियों का कहना है कि उनकी माओवादी विचारधारा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से प्रेरित है। 3-4 जून 1989 को तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की मांग कर रहे 10,000 छात्रों को टैंकों ने कुचल दिया था। माओ त्से-तुंग के 'राजनीतिक शक्ति बंदूक की नली से आती है' के सिद्धांत पर चलते हुए नक्सलियों ने बस्तर में हजारों निर्दोष आदिवासियों और सैकड़ों सैनिकों को मार डाला। बस्तर अब इस खोखली विचारधारा से मुक्त हो चुका है और विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है।