कोरबा में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्वीर: मरीज को खाट पर 7 किलोमीटर ढोया, एंबुलेंस नहीं पहुंची गांव
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की जर्जर हालत एक बार फिर सामने आई है। जिले के पाली विकासखंड के दूरस्थ गांवों में इलाज के नाम पर केवल कागजी योजनाएं हैं, जबकि जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक बनी हुई है। ताजा मामला ग्राम पंचायत बारीउमराव के अंतर्गत आने वाले जलहल गांव का है, जहां एक गंभीर रूप से बीमार मरीज को उसके परिजनों को खाट पर लिटाकर करीब 7 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। वजह—गांव तक न तो पक्की सड़क है, न ही एंबुलेंस पहुंचने की व्यवस्था।
सात किलोमीटर की पीड़ा
यह घटना जिले की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोलती है। बताया गया है कि पाली ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 37 किलोमीटर दूर स्थित जलहल गांव में जब एक व्यक्ति की तबीयत अचानक बिगड़ गई, तो परिजनों ने 108 एंबुलेंस सेवा को फोन किया। लेकिन एंबुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकी क्योंकि वहां तक सड़क का कोई साधन ही मौजूद नहीं है। ऐसे में परिजनों ने मरीज को खाट पर लिटाया और कच्चे रास्तों, जंगल और नालों को पार करते हुए 7 किलोमीटर तक पैदल चले ताकि किसी वाहन तक पहुंचा जा सके।
गांव में न स्वास्थ्य केंद्र, न सुविधा
जलहल गांव में न तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है और न ही कोई स्वास्थ्य कर्मी नियमित तौर पर वहां पहुंचते हैं। गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को इलाज के लिए कई किलोमीटर दूर चलना पड़ता है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं।
108 एंबुलेंस सेवा की भी पोल खुली
प्रदेश सरकार द्वारा संचालित 108 एंबुलेंस सेवा का उद्देश्य आपात स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाना है, लेकिन गांवों की जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। इस घटना में भी, कॉल के बाद एंबुलेंस तो रवाना हुई, लेकिन खराब सड़क और पहुंच मार्ग के अभाव में वह गांव तक नहीं पहुंच सकी।
प्रशासन पर उठे सवाल
इस घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते एंबुलेंस या इलाज की सुविधा मिली होती, तो कई बार गंभीर मरीजों की जान बचाई जा सकती थी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर शीघ्र ही स्वास्थ्य सेवाएं दुरुस्त नहीं की गईं, तो वे प्रशासन के खिलाफ आंदोलन करेंगे।
कब सुधरेंगी हालात?
सरकार की 'स्वास्थ्य आपके द्वार' जैसी योजनाएं इन इलाकों में केवल पोस्टर और भाषणों तक सीमित हैं। ग्रामीणों को हर आपात स्थिति में अपनी जान जोखिम में डालकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। यह मामला केवल जलहल गांव का नहीं, बल्कि कोरबा और आसपास के सैकड़ों गांवों की सच्चाई है।

