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टीन की छत के नीचे पढ़ाई कर रहे नौनिहाल, जज्बे ने हालातों को दी मात

टीन की छत के नीचे पढ़ाई कर रहे नौनिहाल, जज्बे ने हालातों को दी मात

जब जमीनी हकीकतें उम्मीदों से टकराती हैं, तब जन्म लेती हैं जज्बे और संघर्ष की असली कहानियां। ऐसी ही एक सच्ची तस्वीर छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के भोपालपटनम विकासखंड के ग्राम वरदली से सामने आई है, जहां प्राथमिक शाला के छात्र-छात्राएं बिना छत वाले भवन में टीन की चादरों के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

इन मासूम बच्चों के पास ना पक्की छत है, ना पंखा, और ना ही बारिश से बचने की कोई पुख्ता व्यवस्था। तेज धूप, बरसात या ठंडी हवा – हर मौसम की मार ये बच्चे झेलते हैं, लेकिन उनकी आंखों में सपनों की चमक और शिक्षा का जुनून अब भी बरकरार है

सरकारी योजनाओं और शिक्षा के अधिकार कानून के दावों के बीच यह स्कूल आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। कई वर्षों से इस स्कूल भवन की मरम्मत या निर्माण की कोई ठोस पहल नहीं हुई है। गांव के लोगों ने कई बार जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान इस ओर खींचने की कोशिश की, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले।

ग्राम वरदली की यह तस्वीर भले ही सिस्टम की लापरवाही को उजागर करती हो, लेकिन बच्चों का जज्बा पूरे देश के लिए प्रेरणा बन गया है। यह कहानी बताती है कि अगर सीखने की ललक हो, तो हालात भी हार मान जाते हैं।

अब सवाल यह है कि कब तक ये बच्चे टीन की चादरों के नीचे अपनी उम्मीदों की किताबें खोलते रहेंगे? क्या शिक्षा विभाग और प्रशासन इस हकीकत को देखकर जागेगा? जनता को जवाब चाहिए।

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