बीजापुर में माओवादियों की बिछाई IED की चपेट में आए ग्रामीण, किशोरी सहित तीन घायल
छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में माओवादियों की हिंसक गतिविधियों का खामियाजा एक बार फिर निर्दोष ग्रामीणों को भुगतना पड़ा है। जिले के मद्देड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम धनगोल के जंगल में पहले से बिछाए गए एक प्रेशर आधारित विस्फोटक (IED) की चपेट में आने से एक किशोरी समेत तीन ग्रामीण घायल हो गए। यह दर्दनाक घटना 13 जुलाई की शाम उस समय घटी, जब कुछ ग्रामीण जंगल में जंगली मशरूम (स्थानीय भाषा में जिसे 'फुटु' कहा जाता है) इकट्ठा करने गए थे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, घायल ग्रामीणों में दो पुरुष और एक 14 वर्षीय किशोरी शामिल हैं। ये सभी धनगोल गांव के निवासी हैं और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जंगल से खाद्य सामग्री जुटाने गए थे। इसी दौरान एक ग्रामीण का पैर माओवादियों द्वारा पूर्व में बिछाए गए दबाव आधारित IED पर पड़ गया, जिससे जोरदार धमाका हुआ और तीनों लोग घायल हो गए।
घटना की सूचना मिलते ही सुरक्षा बलों और स्थानीय पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया। घायलों को जंगल से निकालकर प्राथमिक उपचार के लिए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से उनकी गंभीर हालत को देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सभी घायल खतरे से बाहर हैं, लेकिन उनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है।
इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि माओवादी कैसे आम जनता की सुरक्षा को नजरअंदाज कर अपने उद्देश्य के लिए निर्दोष ग्रामीणों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। जंगल में बिछाए गए ऐसे विस्फोटक न केवल सुरक्षा बलों के लिए खतरा बनते हैं, बल्कि उन ग्रामीणों के लिए भी जानलेवा हैं जो आजीविका के लिए रोज जंगलों में जाते हैं।
पुलिस और सुरक्षा बलों ने घटनास्थल के आसपास इलाके की सघन तलाशी शुरू कर दी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि और कहीं ऐसे विस्फोटक तो नहीं बिछाए गए हैं। साथ ही, इलाके में सुरक्षा चौकसी और गश्त बढ़ा दी गई है।
स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे जंगल में प्रवेश करने से पहले सतर्कता बरतें और किसी भी संदिग्ध वस्तु या गतिविधि की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
माओवादी हिंसा का यह ताजा उदाहरण दर्शाता है कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सामान्य जीवन जीना आज भी कितना मुश्किल बना हुआ है। सरकार और सुरक्षा बल लगातार इस चुनौती से निपटने के लिए प्रयासरत हैं, लेकिन ऐसे हादसे यह भी संकेत देते हैं कि जमीनी स्तर पर अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।

