छत्तीसगढ़ के जशपुर में सरकारी लापरवाही और मानवता का अद्भुत उदाहरण, मितानिन ने गर्भवती महिला को पीठ पर लादकर पहुंचाया अस्पताल

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले से एक ऐसा दृश्य सामने आया है, जिसने सरकारी लापरवाही को एक बार फिर से उजागर किया है, वहीं मानवता और हिम्मत का भी एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। यहां की एक मितानिन (आशा कार्यकर्ता) ने अपनी जान जोखिम में डालते हुए एक गर्भवती महिला को पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया, जब सड़क पर काम न करने और सरकारी चिकित्सा सेवाओं की लापरवाही के कारण महिला को तत्काल इलाज की जरूरत थी।
मितानिन का नाम साधना कुमारी है, जो गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जुड़ी हुई हैं। घटना उस समय की है, जब जशपुर के एक दूरदराज इलाके में एक गर्भवती महिला को प्रसव संबंधी गंभीर समस्याएं आ गईं। महिला के परिवार वालों ने उसे नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास किया, लेकिन इलाके की खराब सड़कें और संचार सुविधाओं की कमी ने यह काम मुश्किल बना दिया।
साधना कुमारी, जो अपनी जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं, ने बिना समय गंवाए महिला को अपने कंधे पर लाद लिया और तकरीबन 2 किलोमीटर की दूरी पार करते हुए उसे अस्पताल पहुंचाया। इस साहसिक कदम से महिला का प्रसव सफलतापूर्वक हुआ, और दोनों मां-बच्चा स्वस्थ हैं।
यह घटना सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को उजागर करती है, खासकर दूरदराज के इलाकों में। जहां एक ओर अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी है, वहीं दूसरी ओर सड़कें भी दुरुस्त नहीं हैं। ऐसे में गरीब और जरूरतमंद लोग गंभीर हालत में घंटों इंतजार करने को मजबूर होते हैं, जैसे कि इस गर्भवती महिला के साथ हुआ था।
स्थानीय लोगों ने मितानिन की इस कड़ी मेहनत और मानवता की सराहना की है, और उन्होंने मांग की है कि सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर, सड़क निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की आवश्यकता है।
यह घटना इस बात का भी प्रतीक है कि सरकारी योजनाएं और स्वास्थ्य सेवाएं यदि सही तरीके से लागू की जाएं तो मानवता की सच्ची सेवा की जा सकती है। साधना कुमारी जैसी मितानिन के योगदान को सलाम करते हुए, अब यह जरूरी हो गया है कि सरकार इन गांवों में बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान दे, ताकि लोगों को अपने जीवन की सुरक्षा के लिए साहसिक कदम उठाने की जरूरत न पड़े।