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छत्तीसगढ़ में पांच डिसमिल से कम कृषि भूमि की रजिस्ट्री अब नहीं होगी

छत्तीसगढ़ में पांच डिसमिल से कम कृषि भूमि की रजिस्ट्री अब नहीं होगी

छत्तीसगढ़ में अब पांच डिसमिल (लगभग 2200 वर्गफीट) से कम कृषि भूमि की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी। यह बदलाव राज्य विधानसभा द्वारा हाल ही में पारित छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम 2025 को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद लागू हुआ है। इस कदम का उद्देश्य भूमि के दुरुपयोग को रोकना और कृषि भूमि के संरक्षण को सुनिश्चित करना है।

सूत्रों के अनुसार, इस कानून के लागू होने के बाद अब किसी भी व्यक्ति या संस्था के लिए पांच डिसमिल से कम कृषि भूमि का खाता-पुस्तक में रजिस्ट्री करवाना संभव नहीं होगा। इसका मतलब है कि छोटे पैमाने पर भूमि के खंडन और गैर-कृषि उपयोग पर नियंत्रण बढ़ जाएगा। भूमि संरक्षण के लिए यह कदम राज्य सरकार की नई नीति का हिस्सा माना जा रहा है।

राज्य सरकार ने बताया है कि यह संशोधन कृषि भूमि के सतत उपयोग और किसानों के हितों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी था। पिछले कुछ वर्षों में भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटने और उनका गैरकृषि उपयोग बढ़ने के कारण खेती योग्य भूमि में कमी देखी गई थी। ऐसे में यह कानून किसानों और कृषि भूमि की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

विशेषज्ञों का कहना है कि पांच डिसमिल से कम भूमि के रजिस्ट्री पर रोक लगाने से भूमि के अवैध लेन-देन और सट्टा कारोबार पर रोक लगेगी। इसके साथ ही, यह कदम कृषि भूमि के वास्तविक उपयोग को सुनिश्चित करेगा और भूमि अधिग्रहण या व्यापार में पारदर्शिता बढ़ाएगा।

कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि छोटे पैमाने पर भूमि के टुकड़े कई बार खेती के बजाय अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। अब इस कानून के लागू होने से छोटे और बड़े किसानों दोनों को अपने खेतों का संरक्षण करने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार का मानना है कि इससे किसानों की आर्थिक सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

राजनीतिक और सामाजिक विश्लेषक भी इस कदम को सराह रहे हैं। उनका मानना है कि राज्य में भूमि संरक्षण कानूनों को सख्ती से लागू करना आवश्यक था, ताकि किसानों की मेहनत और प्राकृतिक संसाधनों का सही इस्तेमाल हो सके।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कानून पूरे प्रदेश में लागू होगा और इसके उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। भूमि के रजिस्ट्री और लेन-देन से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे नए नियमों का पालन सुनिश्चित करें और किसी भी प्रकार की अनियमितता पर तत्काल कार्रवाई करें।

इस कानून के लागू होने के बाद, किसानों और भूमि मालिकों को अपने दस्तावेज़ों और भूमि रजिस्ट्री की जानकारी अद्यतन रखने की आवश्यकता होगी। सरकारी अधिकारियों द्वारा समय-समय पर भूमि का निरीक्षण भी किया जाएगा, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि भूमि का उपयोग कानून के अनुरूप ही हो रहा है।

इस तरह, छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम 2025 राज्य में कृषि भूमि के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए एक बड़ा और निर्णायक कदम साबित हो रहा है। अब देखना यह होगा कि इस कानून के प्रभाव से प्रदेश में कृषि भूमि की सुरक्षा और किसानों के हितों की रक्षा किस हद तक सुनिश्चित होती है।

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