बालिग प्रेम संबंध को दुष्कर्म नहीं मान सकती अदालत, हाईकोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के फैसले को किया रद्द

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने रेप के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि यदि पीड़िता बालिग है और उसने लंबे समय तक युवक को पति मानते हुए सहमति से शारीरिक संबंध बनाए हैं, तो इसे दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।
कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में यह स्पष्ट होता है कि पीड़िता अपनी स्वेच्छा से युवक के साथ रह रही थी और संबंध बना रही थी। इस आधार पर हाईकोर्ट ने रायगढ़ के फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा आरोपी के खिलाफ दोष सिद्ध करने के आदेश को रद्द कर दिया।
क्या था मामला?
प्रकरण रायगढ़ जिले से जुड़ा है, जहां एक युवक पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज किया गया था। निचली अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए उसे सजा सुनाई थी। आरोपी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हाईकोर्ट की टिप्पणी
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने स्पष्ट कहा कि यदि पीड़िता ने शादी की इच्छा या भरोसे के तहत संबंध बनाए और वह पूरी तरह बालिग थी, तो यह बलात्कार नहीं बल्कि एक सहमति पर आधारित संबंध माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला की समझदारी और परिपक्वता को भी इस प्रकार के मामलों में ध्यान में रखा जाना चाहिए।
फैसले का प्रभाव
इस निर्णय से यह संदेश गया है कि कानून का उपयोग व्यक्तिगत प्रेम संबंधों में उत्पन्न विवादों में बदले की भावना से नहीं किया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि हर मामला अपने तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित होता है।