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हाईकोर्ट ने पॉक्सो केस में छह साल से जेल में बंद युवक को किया बरी, कहा- सहमति से बने थे शारीरिक संबंध

हाईकोर्ट ने पॉक्सो केस में छह साल से जेल में बंद युवक को किया बरी, कहा- सहमति से बने थे शारीरिक संबंध

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि सहमति से प्रेम और शारीरिक संबंध बनाने के मामलों में बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के प्रावधान लागू नहीं होते। अदालत ने एक युवक को बरी कर दिया जो नाबालिग से बलात्कार के मामले में छह साल से जेल में था। सुनवाई के दौरान पीड़िता ने स्वीकार किया कि उसके और आरोपी के बीच प्रेम संबंध थे तथा शारीरिक संबंध सहमति से बने थे। इस आधार पर हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और युवक को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया।

मामला 2018 का है, जब 19 वर्षीय तरुण सेन पर एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया गया था। लड़की के पिता की शिकायत पर पुलिस ने 12 जुलाई 2018 को मामला दर्ज कर 18 जुलाई को लड़की को किले से बरामद किया था। 27 सितंबर 2019 को रायपुर के विशेष न्यायाधीश (अत्याचार निवारण अधिनियम) ने तरुण को आईपीसी की धारा 376(2)(एन) और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत 10-10 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। दोनों सजाएं एक साथ चलाने का आदेश दिया गया।

हाईकोर्ट की एकल पीठ में अपील की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम थी। इसके अतिरिक्त पीड़िता ने अदालत में प्रेम संबंध और आपसी सहमति की बात स्वीकार की। इस आधार पर उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए तरुण सेन को बरी कर दिया तथा उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया।

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