रायपुर की 130 बस्तियों में से 56 में ईसाई मिशनरी का मतांतरण जाल, आरएसएस ने संस्कार केंद्रों की स्थापना की
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की 130 बस्तियों में से 56 बस्तियों में ईसाई मिशनरियों का मतांतरण का जाल फैलने की जानकारी सामने आई है। इन बस्तियों में आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों को निशाना बनाकर मतांतरित करने के प्रयास तेजी से बढ़ रहे हैं। यह घटना स्थानीय धार्मिक समुदायों और समाज के लिए चिंता का कारण बन गई है।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सेवा इकाई ने समाज में धार्मिक जागरूकता फैलाने और लोगों को अपने मूल धर्म में बने रहने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से संस्कार केंद्रों की स्थापना की है। इन केंद्रों का मुख्य उद्देश्य उन परिवारों और व्यक्तियों को धर्म परिवर्तन के दबाव से बचाना है, जो आर्थिक कठिनाइयों या अन्य कारणों से असमंजस में हैं।
आरएसएस का कहना है कि इन संस्कार केंद्रों के माध्यम से लोगों को अपने सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इन केंद्रों में धार्मिक शिक्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं, ताकि लोगों को अपने धर्म में रहने के फायदे और महत्व का एहसास हो सके।
संस्कार केंद्रों के संचालकों का कहना है कि यह पहल इस उद्देश्य से की गई है कि गरीब और पिछड़े समुदायों को भ्रमित कर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर न किया जा सके। विशेष रूप से वे लोग जो आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं, उन्हें धर्म परिवर्तन के लुभावने प्रस्ताव दिए जाते हैं। इसके खिलाफ जागरूकता फैलाने और धार्मिक समरसता की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
राज्य में बढ़ते धर्म परिवर्तन के प्रयासों को लेकर धार्मिक और सामाजिक संगठनों के बीच बहस चल रही है। एक ओर जहां कुछ संगठनों का कहना है कि यह मिशनरी कार्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने का एक तरीका है, वहीं दूसरी ओर कई अन्य संगठन इसे असंवैधानिक और समाज को तोड़ने वाली प्रक्रिया मानते हैं।
इस बीच, राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर नजर बनाए रखी है और जरूरत पड़ी तो विधायी कदम उठाने की संभावना से भी इनकार नहीं किया है। इस मामले में सरकार की ओर से बयान आया है कि कोई भी धर्म परिवर्तन बिना किसी दबाव के और स्वेच्छा से होना चाहिए।

