छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर जताया शोक

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ी साहित्य और हास्य काव्य के शिखर पुरुष पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने कहा कि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि समूचे साहित्यिक जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
साहित्यिक जगत का एक महान नुकसान
डॉ. सुरेन्द्र दुबे ने अपने जीवन में छत्तीसगढ़ी साहित्य को समृद्ध किया और हास्य काव्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाओं ने न केवल छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रेमियों को प्रेरित किया, बल्कि समग्र भारतीय साहित्यिक समाज में अपनी पहचान बनाई। उनके हास्य काव्य की विशेषता थी कि वह समाज के गंभीर मुद्दों को भी हास्य और व्यंग्य के माध्यम से पेश करते थे, जिससे पाठक उनकी लेखनी से जुड़ाव महसूस करते थे।
सीएम साय ने दी श्रद्धांजलि
सीएम विष्णुदेव साय ने अपने शोक संदेश में कहा, "डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन हमारे लिए अपूरणीय क्षति है। उनका योगदान छत्तीसगढ़ी साहित्य और संस्कृति को न केवल सम्मानित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्त्रोत रहेगा। उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन छत्तीसगढ़ के साहित्यिक समुदाय के लिए एक बड़े दुख की घड़ी है। उनका रचनात्मक योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता।
पद्मश्री से सम्मानित थे डॉ. दुबे
डॉ. सुरेन्द्र दुबे को उनके साहित्यिक योगदान के लिए पद्मश्री जैसे उच्चतम सम्मान से नवाजा गया था। उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा और संस्कृति को अपनी लेखनी से प्रगति की दिशा दी। उनके निधन से न केवल साहित्यकारों, बल्कि उनके प्रशंसकों और साहित्य प्रेमियों के बीच भी शोक की लहर है।
समाज में उनके योगदान को याद किया जाएगा
साहित्य और काव्य जगत के साथ-साथ डॉ. दुबे ने छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में भी गहरी छाप छोड़ी। उनकी रचनाओं ने न केवल हास्य की दुनिया में एक नया आयाम जोड़ा, बल्कि समाज के दबे- कुचले मुद्दों को उठाकर उन पर व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। उनका योगदान भविष्य के साहित्यकारों के लिए एक प्रेरणा बनकर रहेगा।
आगे क्या कदम उठाएंगे प्रशासन?
मुख्यमंत्री ने इस शोक संतप्त समय में डॉ. सुरेन्द्र दुबे की कृतियों को संरक्षित करने और उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी आश्वासन दिया। इसके अलावा, प्रशासन उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए एक स्मारक या कार्यक्रम आयोजित करने पर विचार कर रहा है, ताकि उनकी यादें हमेशा ताजी रहें।
इस कठिन समय में पूरे प्रदेश और साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ी हुई है, और उनके योगदान को याद करते हुए सभी उनकी आत्मा की शांति की कामना कर रहे हैं।