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Bilaspur में हाईकोर्ट ने कौड़ीकसा गांव में आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या का लिया संज्ञान, अदालत ने दिए यह निर्देश

Bilaspur में हाईकोर्ट ने कौड़ीकसा गांव में आर्सेनिक युक्त पानी की समस्या का लिया संज्ञान, अदालत ने दिए यह निर्देश

दुर्ग जिले के कौड़ीकसा गांव में आर्सेनिक युक्त पानी के सेवन से लोगों के विभिन्न चर्म रोगों से ग्रसित होने के मामले का हाईकोर्ट की विशेष बेंच ने संज्ञान लिया है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने के निर्देश दिए हैं। इसी तरह शहर में जल प्रदाय व्यवस्था की जानकारी देते हुए 29 मई को फिर मामले की सुनवाई होगी। हाईकोर्ट प्रदेश में कई जगहों पर जलापूर्ति और जल संकट से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है। इस याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पांडे की डीबी ने दुर्ग संभाग मुख्यालय से करीब 90 किलोमीटर दूर अंबागढ़ चौकी के पास कौड़ीकसा नामक गांव में आर्सेनिक युक्त जहरीले पानी से फैल रही बीमारियों का संज्ञान लिया। इस गांव की आबादी करीब 2500 है, जिसमें कुछ लोगों के घरों में चर्म रोगी हैं तो कुछ लोगों के घरों में अन्य बीमारियों से ग्रसित हैं। बच्चे, बड़े, बुजुर्ग या महिलाएं सभी के शरीर पर काले धब्बे और अन्य तरह के चर्म रोग हैं।

आर्सेनिक युक्त पानी के कारण कौड़ीकसा के सैकड़ों लोगों की जान जोखिम में है। इस समस्या के समाधान के लिए जब रिमूवल प्लांट से शुद्ध पानी की आपूर्ति अपर्याप्त हो गई तो शासन ने अंबागढ़ से शिवनाथ नदी से पानी लेना शुरू किया। हाईकोर्ट के संज्ञान में यह भी लाया गया कि नदी से पानी लेने की योजना बनाई गई है। कौड़ीकसा सहित 23 गांवों में नदी का पानी पहुंचाया जा रहा है। सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि गांव के अनीशपुरी गोस्वामी और पूर्व जनपद उपाध्यक्ष नरोत्तम देहरी का कहना है कि पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों के पास दो ही विकल्प हैं या तो वे प्यास से मर जाएं या फिर कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे मर जाएं। मौत का यह दूसरा रास्ता चुनकर लोग फिर से आर्सेनिक युक्त पानी का उपयोग करने लगे हैं। इसे देखते हुए कोर्ट ने प्रतिवादी सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी छत्तीसगढ़ को शपथ पत्र में समस्या के समाधान के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देने को कहा है।

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