भूपेश बघेल बोले- महिला आरक्षण बिल जैसे न हो जाये हाल, बीजेपी ने दिया ये जवाब

छत्तीसगढ़ में जाति जनगणना को लेकर खूब सियासत चल रही है। इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला गरम है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जाति जनगणना पर कहा कि जाति जनगणना पर सबसे पहले आवाज उठाने वाले राहुल गांधी थे। अब जब राज्य में माहौल बन गया है तो सरकार ने इसकी घोषणा तो कर दी लेकिन इसके लिए कोई बजट नहीं दिया गया और न ही सरकार इस दिशा में कोई कदम उठा रही है। इसी तरह महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है। इसलिए इस पर लगातार दबाव बनाना होगा। रायपुर एयरपोर्ट पर चर्चा में राष्ट्रीय महासचिव बघेल ने कहा कि जब से राहुल गांधी ने जाति जनगणना की बात की है, तब से पूरे देश में इसे लेकर माहौल बना है। उन्होंने कहा कि इससे आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक स्तर पर बड़ा बदलाव आ सकता है। इस विषय को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार ने जाति जनगणना कराने का फैसला किया, यह कैबिनेट का फैसला है। हालांकि, इस प्रक्रिया में समय और संसाधन की जरूरत होती है और फिलहाल भारत सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
'कौन चला रहा है सीएम के विभागों को?'
पूर्व सीएम बघेल ने मंत्रिमंडल विस्तार में हो रही देरी और मंत्रियों की सीमित संख्या को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जितने कम मंत्री होंगे, उतने ही ज्यादा उनके विभाग सीएम के पास जाएंगे। अब यह जानना जरूरी है कि सीएम के पास जो विभाग हैं, उन्हें कौन चला रहा है? उन्होंने कहा कि खनन हो या शिक्षा, सभी विभाग सीएम के पास हैं, फिर उन्हें कौन चला रहा है?
पत्रकारों पर हमले को लेकर घिरी सरकार
मेखरा अस्पताल में पत्रकारों के साथ हुई बदसलूकी और हमले की घटना पर भूपेश बघेल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों के साथ ऐसी घटनाओं की मैं निंदा करता हूं। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। बता दें कि मेखरा अस्पताल में तैनात बाउंसरों ने रविवार रात कवरेज करने गए एक मीडियाकर्मी को धक्का दिया और जान से मारने की धमकी भी दी। इस घटना को लेकर मीडियाकर्मियों में काफी गुस्सा था।
भाजपा ने कहा- कांग्रेस को अब बोलने का अधिकार नहीं
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि "जो पार्टी सत्ता में थी और लगातार इस जनगणना का विरोध करती रही, वह अब इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस को अब इस मुद्दे पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।" साव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने दशकों तक राज किया, लेकिन पिछड़े वर्ग, दलितों और वंचितों की अनदेखी की। वे इन वर्गों को केवल वोट बैंक के रूप में देखते रहे। जब जनगणना का सही समय था, तब उन्होंने इसे नजरअंदाज कर दिया और आज जब मोदी सरकार ने यह क्रांतिकारी फैसला लिया है, तो कांग्रेस इसे राजनीतिक रूप देने की कोशिश कर रही है।
आजादी के बाद पहली बार लिया गया साहसिक फैसला: अजय चंद्राकर
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आखिरी जाति जनगणना आजादी से पहले 1941 में हुई थी। आज भारत में पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इतने सालों तक सत्ता में बने रहने के बावजूद कांग्रेस ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया। अब जब केंद्र सरकार ने साहसिक फैसला लिया है, अगर उन्होंने यह जिम्मेदारी ली है तो कांग्रेस को इसका श्रेय लेने की भी जल्दी है। अगर उन्हें वाकई पिछड़े वर्गों की चिंता होती तो यह काम बहुत पहले हो चुका होता।