बीजापुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान को मिली बड़ी सफलता: 13 माओवादी सदस्यों ने किया आत्मसमर्पण

बीजापुर जिले में चलाए गए नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है। पश्चिम बस्तर डिवीजन से जुड़े विभिन्न माओवादी संगठनों के 13 सक्रिय सदस्यों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में 23 लाख रुपये के इनामी माओवादी भी शामिल हैं, जिनमें प्रमुख रूप से कंपनी नंबर-2 की महिला पार्टी सदस्य, एसीएम (Area Committee Member), केएएमएस अध्यक्ष, पीएलजीए, एलओएस, और मिलिशिया प्लाटून के सदस्य शामिल हैं।
आत्मसमर्पण करने वाले प्रमुख माओवादी:
-
कंपनी नंबर-2 की महिला पार्टी सदस्य: इस सदस्य के आत्मसमर्पण के साथ नक्सली संगठन के महिला सक्रिय सदस्यों के लिए पुलिस ने एक बड़ा संदेश दिया है।
-
एसीएम, केएएमएस अध्यक्ष और पीएलजीए सदस्य: ये सभी माओवादी समूहों के अहम सदस्य रहे हैं, जो सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों में शामिल रहे हैं।
-
एलओएस और मिलिशिया प्लाटून के सदस्य: इन दोनों समूहों ने नक्सल गतिविधियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई थी।
आत्मसमर्पण का महत्व:
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह आत्मसमर्पण एक बड़ी जीत है, क्योंकि यह न केवल नक्सलवादी गतिविधियों में कमी लाने का संकेत है, बल्कि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा बलों की बढ़ती सफलता को भी दर्शाता है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण करके यह संदेश दिया कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए तैयार हैं और एक बेहतर जीवन की ओर बढ़ने का निर्णय लिया है।
आत्मसमर्पण प्रक्रिया:
आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत पुनर्वास की पेशकश की गई है, जिसमें उन्हें एक नया जीवन शुरू करने का अवसर मिलेगा। इस नीति के तहत उन्हें सरकारी सहायता, आवास और रोजगार प्रदान किए जाएंगे, ताकि वे समाज में फिर से समाहित हो सकें।
पुलिस का बयान:
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक ने इस आत्मसमर्पण को एक महत्वपूर्ण कदम बताया और कहा कि इससे नक्सलियों की रणनीतिक स्थिति में बदलाव आएगा। उन्होंने कहा कि अब और अधिक माओवादी आत्मसमर्पण करने के लिए प्रेरित होंगे, क्योंकि उन्हें यह एहसास हो रहा है कि नक्सलवाद का रास्ता केवल तबाही और दर्द लेकर आता है। पुलिस ने इस सफलता को जिले में शांति स्थापना की दिशा में एक और कदम बताया।