लालू की बजाय राहुल पर 'गोले' क्यों बरसा रहे प्रशांत? बिहार की राजनीति में बड़ी हलचल की आहट तो नहीं

बिहार की राजनीति में लालू यादव के एक वीडियो ने हलचल मचा दी है। इस विवाद में जन सुराज के मास्टरमाइंड प्रशांत किशोर भी कूद पड़े हैं। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खुली चुनौती दी है। उन्होंने लालू प्रसाद यादव द्वारा बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर का अपमान करने को लेकर कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने राहुल गांधी से कहा, "अगर हिम्मत है तो बाबा साहब का अपमान करने के लिए लालू प्रसाद यादव का विरोध करें।" जन सुराज के मास्टरमाइंड प्रशांत किशोर अपनी 'बिहार बाढ़ी यात्रा' के तहत लगातार बिहार के विभिन्न जिलों और प्रखंडों का दौरा कर रहे हैं। इसी क्रम में वे शनिवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे, जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से बातचीत की और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को भी संबोधित किया। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिहार में कांग्रेस की कोई राजनीतिक हैसियत नहीं बची है। पिछले 30 सालों से कांग्रेस लालू यादव और अब तेजस्वी यादव का झंडा लेकर चल रही है। प्रशांत किशोर ने राहुल गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर हिम्मत है तो बिहार में अकेले चुनाव लड़ें। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है और बिहार में उसकी कोई स्वतंत्र पहचान नहीं बची है। प्रशांत किशोर ने कांग्रेस पर साधा निशाना
अपने सबसे तीखे हमले में प्रशांत किशोर ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को लालू यादव से जोड़े जाने पर उठे विवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि लालू यादव ने अंबेडकर की तस्वीर के सामने कदम रखकर उनका अपमान किया है। उन्होंने कहा, "राहुल गांधी हर जगह कहते हैं 'डरो मत', लेकिन मैं उनसे कहता हूं कि लालू यादव से मत डरो। हिम्मत है तो लालू यादव द्वारा किए गए इस अपमान का विरोध करो। बाबा साहब का अपमान करने वालों के साथ खड़े होने वाले नेता दलितों और कमजोर वर्गों की बात कैसे कर सकते हैं?"
कांग्रेस ने बिहार में खोया जनसमर्थन: पीके
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता अब नेताओं की असलियत पहचानने लगी है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस जैसी पार्टी अब बिहार में जनसमर्थन खो चुकी है और अगर राहुल गांधी वाकई दलितों और संविधान की रक्षा की बात करते हैं तो उन्हें इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। जनसूरज के शिल्पकार ने यह भी कहा कि बिहार को अब एक नए नेतृत्व की जरूरत है जो जातिवाद और भाई-भतीजावाद से ऊपर उठकर काम करे। उन्होंने दावा किया कि जनसूरज एक वैकल्पिक राजनीतिक मंच के रूप में उभर रहा है और आने वाले समय में बिहार की राजनीति की दिशा तय करेगा।