बिहार में मतदाता सूची में व्यापक संशोधन को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विपक्षी दल इस मुद्दे पर लगातार चुनाव आयोग को घेर रहे हैं। विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर 1 प्रतिशत मतदाताओं के नाम भी हटाए गए तो इसका असर पूरे चुनाव पर पड़ेगा। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस व्यापक संशोधन के बहाने उनके समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाएँगे। आज निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी कहा कि अगर यह संशोधन ऐसे ही चलता रहा तो विपक्षी दलों को चुनाव लड़ने पर पुनर्विचार करना होगा। ज़ाहिर है, विपक्षी दलों का मानना है कि इस प्रक्रिया से उन्हें सीटों का नुकसान हो सकता है।
महागठबंधन में तनाव की वजह
पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी करीबी रहे थे। कई सीटों पर जीत-हार का अंतर बहुत कम था। 35 सीटें ऐसी थीं जहाँ जीत-हार का अंतर सिर्फ़ 3000 वोटों का था। इनमें से 17 सीटें महागठबंधन, 16 एनडीए, 1 लोजपा और 1 सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी। तेजस्वी यादव ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर 1% मतदाताओं के नाम भी हटाए जाएं तो औसतन प्रति सीट 3,251 मतदाताओं के नाम हटाए जा सकते हैं. ऐसे में कम मार्जिन वाली सीटों पर नतीजे प्रभावित होंगे."

